देह तस्करी के सहारे अस्तित्व बचाने में जुटे आतंकी

लंदनः लगातार अपनी जमीन खोते जा रहे ये आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) और बोको हराम अब देह तस्करी और अपहरण जैसे हथकंडों के सहारे ही अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक ने एक रिपोर्ट के हवाले से सोमवार को यह जानकारी दी। हेनरी जैक्सन सोसायटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नाइजीरिया में बोको हराम, सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट (IS) जैसे आतंकी संगठन लड़ाई के मैदान में जैसे-जैसे कमजोर पड़ेंगे, वैसे-वैसे वे इस हथकंडे को ज्यादा इस्तेमाल करने लगेंगे।

रिपोर्ट में शोधकर्ता निकिता मलिक ने कहा, 'सेक्स गुलामी से जुड़ा प्रॉपेगैंडा नए लड़ाकों और विदेशी फाइटर्स के लिए प्रोत्साहन का काम करता है। बीवी और सेक्स गुलाम देने वादा उनके लिए 'पुल फैक्टर' का काम करता है।' मलिक के मुताबिक, यौन हिंसा और बलात्कार को धर्म से जोड़कर उसे जायज ठहराने की कोशिश की जाती है।

2009 में अपनी शुरुआत से लेकर अबतक नॉर्थईस्ट नाइजीरिया में बोको हराम के आतंकवादी हजारों लड़कियों और महिलाओं को अगवा कर चुके हैं। अप्रैल 2014 में तो 200 से ज्यादा लड़कियों को उनके स्कूल से ही अगवा कर लिया गया था। इनमें से कई को कुक, कई को सेक्स गुलाम और यहां तक कि सूइसाइड बॉमर के तौर पर भी इस्तेमाल किया गया।

इसी तरह, साल 2014 में सिंजर के नजदीक यजीदियों के गांव कोचो को घेरने के बाद आईएस आतंकियों ने हजारों महिलाओं और लड़कियों को अगवा किया था, जिन्हें बुरी तरह टॉर्चर किया गया और यौन प्रताड़ना दी गई। संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं को अनुमान है कि 5,000 से ज्यादा यजीदियों का नरसंहार किया चुका है और 7,000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को सेक्स गुलामी के लिए मजबूर किया गया है। अब आईएस अपने सबसे बड़े गढ़ रक्का में ही घिर चुका है। यहां आईएस के खिलाफ आखिरी जंग शुरू हो चुकी है। मोसुल के बाद रक्का भी उसके हाथ से निकलना तय है जो उसके खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक कदम साबित होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, आईएस और बोको हराम जैसे आतंकी संगठन अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए वे संगठन देह तस्करी और फिरौती के लिए किडनैपिंग जैसी घटनाओं को बड़े स्तर पर अंजाम दे सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आईएस ने किडनैपिंग के जरिए साल 2016 में 30 मिलियन डॉलर उगाहने का काम किया था।

Leave a Reply