निजी हाथों में सौंपा 6,00,000 कर्मचारियों का भविष्य

भोपाल । मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच न्यू पेंशन योजना 2005 के विरोध में तथा पुरानी पेंशन योजना लागू करने के समर्थन में सोमवार से 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों एवं 48,000 स्थाई कर्मियों से लाखों की संख्या में हस्ताक्षर करा कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौपेगा। साथ ही पोस्ट कार्ड, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक एवं ट्विटर के माध्यम से न्यू पेंशन योजना 2005 वापस लेने एवं पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग का संदेश मुख्यमंत्री को भेजेंगे।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया है कि, कर्मचारी मंच ने न्यू पेंशन योजना 2005 के विरोध में एवं पुरानी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग का ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपा था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि भारत सरकार की कोई आदेश नहीं है ,कि राज्य सरकार न्यू पेंशन योजना 2005 लागू करने के लिए बाध्य है। भारत सरकार के राजपत्र में भी स्पष्ट उल्लेख है, कि राज्य सरकारें न्यू पेंशन योजना 2005 लागू करने के लिए बाध्य नहीं है।  न्यू पेंशन योजना वापस लेने का अधिकार तथा पुरानी पेंशन योजना लागू करने का अधिकार राज्य सरकार के मुख्यमंत्री का है ,इसलिए मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच अब न्यू पेंशन योजना 2005 के विरोध में एवं पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग के ज्ञापन पर भोपाल सहित पूरे प्रदेश के 600000 कर्मचारियों के हस्ताक्षर कराकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सोपेगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने न्यू पेंशन योजना 2005 एनएसडीएल टेक्नोलॉजी टेस्ट एंड रिसर्च कंपनी मुंबई को सौंपी है जो एक ट्रस्ट है यानी राज्य सरकार ने प्रदेश के 600000 कर्मचारियों का भविष्य निजी हाथों में सौंप दिया है। उसमें जो राशि न्यू पेंशन योजना के नाम पर 10 प्रतिशत कर्मचारी की और 14 प्रतिशत राज्य सरकार का अंशदान जमा हो रहा है उसका कहीं लेखा जोखा ना सरकार के पास है ना कर्मचारियों के कार्यालय में है। इसलिए कर्मचारी मंच का आरोप है कि पेंशन की राशि में ट्रस्ट बड़ा घोटाला कर सकती है, क्योंकि अभी जो कर्मचारी सेवा निवृत्त हो रहे हैं। उन कर्मचारियों की पेंशन मात्र हजार पंद्रह सौ रुपए  स्वीकृत करी जा रही है और काटी गई राशि का पूरा हिसाब भी नहीं दे रही है। उक्त ट्रस्ट पेंशन के नाम पर कर्मचारियों का करोड़ों रुपए अब तक काट चुका है। लेकिन आकस्मिक दुर्घटना में या कोई आवश्यक कार्य पड़ जाने पर कर्मचारी को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं दे रहा है। कर्मचारी की काटी गई राशि को शेयर बाजार में लगाकर जुआ खेला जा रहा है और निजी हाथों में सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन सौंपा कर प्रदेश की 600000 कर्मचारियों एवं उनके परिवार के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।

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