पुलिस ने पूछा- आपके घर में फुले-आंबेडकर की तस्वीरें क्यों हैं, देवताओं की तस्वीरें क्यों नहीं?
नई दिल्ली : "आपकेे पति दलित हैं, इसलिए वह किसी भी परंपरा का पालन नहीं करते, लेकिन आप एक ब्राह्मण हैं, इसलिए आप कोई भी आभूषण क्यों नहीं पहनतीं या सिंदूर क्यों नहीं लगातीं? आपका पहनावा एक पारंपरिक पत्नी की तरह क्यों नहीं है? क्या बेटी को भी पिता की तरह होना चाहिए?'
यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें एक पुलिस अधिकारी ने के पवाना से पूछा, जोकि हैदराबाद में इंग्लिश एंड फॉरेन लेंगुएजिस यूनिवर्सिटी (EFLU) के सांस्कृतिक अध्ययन विभाग के प्रमुख के सत्यनारायण की पत्नी हैं. पुलिस अधिकारी ने पवाना से यह सवाल उनके घर की तलाशी के दौरान किए. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी गई है.
दरअसल, पवाना मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील वरवरा राव की बेटी हैं, जिन्हें पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में पुणे में एलगार परिषद की बैठक में माओवादी लिंक होने के संदेह की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
सत्यनारायण ने कहा कि पुणे पुलिस और तेलंगाना के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों द्वारा उनके घर की ली गई तलाशी एक "दर्दनाक और अपमानजनक अनुभव" था, क्योंकि पुलिसकर्मियों ने उनसे और उनकी पत्नी से "क्रूर और मूर्ख सवाल" पूछे.
सत्यनारायण ने कहा, पहले उन्होंने कहा कि वे वरवरा राव को ढूंढ रहे हैं. जब उन्हें वे नहीं मिले, तब उन्होंने बुकशेल्व, अलमारी आदि में तलाशी लेनी शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि वे माओवादियों से लिंक की जांच कर रहे हैं. उन्होंने पूछा कि क्या वरवर राव उनके घर में छिपे हैं. पुणे और तेलंगाना पुलिस के 20 पुलिसकर्मी मेरे घर में 8.30 बजे से 5.30 बजे तक रहे और उन्होंने सबकुछ बर्बाद कर दिया.'
उन्होंने मुझसे पूछा, आपके घर में इतनी किताबें क्यों हैं? क्या आपने ये सभी किताबें पढ़ी हैं? आपने इतनी किताबें क्यों खरीदी हैं? आप इतनी किताबें क्यों पढ़ते हैं? आप माओ और मार्क्स पर किताबें क्यों पढ़ रहे हैं? आपके पास चीन की प्रकाशित पुस्तकें क्यों हैं? उन्होंने कहा कि आपके घर में फुले और अम्बेडकर की तस्वीरें क्यों हैं, लेकिन देवताओं की कोई तस्वीर नहीं है?