बंद हुए यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट, जानें खास बातें

गढ़वाल हिमालय स्थित भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को भैया दूज के मौके पर शुभ लग्नानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर बंद कर दिए गए। अब आने वाले शीतकाल के छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होगी।

ग्रीष्मकाल में छह माह तक उच्च हिमालय स्थित केदारनाथ में दर्शन देने के बाद बाबा केदारनाथ के पट पौराणिक रीति रिजावों एवं परम्पराओं के अनुसार सुबह बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। सुबह छह बजे गर्भ गृह के कपाट बंद किए गए। इसके बाद बाबा केदार की उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया। सुबह करीब 8.30 बजे वृषक लग्न में मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद कर दिए गए। इस मौके पर मुख्य पुजारी बागेश लिंग, रावल भीमा शंकर लिंग सहित दो हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे।

 

इस दौरान सेना के बैंड की धुन के साथ श्रद्दालुओं ने इस मौके को सेलीब्रेट किया । श्रृद्धालुओं ने बाबा के जयकारे भी लगाए । केदार बाबा के कपाट बंद होते ही भगवान की उत्सव डोली केदारनाथ धाम से रवाना होकर अपने प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हुई। रामपुर में रात्रि विश्राम के बाद 22 अक्टूबर को बाबा केदार की उत्सव डोली फाटा, नारायणकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी।

 

23 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर से प्रस्थान कर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। जिसके बाद गर्भगृह में विराजमान होने के बाद शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भक्त दर्शन करेंगे। छह माह तक यहीं पर नित्य पूजाएं भी संपन्न होगी। 

 

विश्वप्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भी शनिवार को छह माह के लिए बंद कर दिए गए हैं। यमुना की डोली के मंदिर से बाहर निकलते ही यमुना के जयकारों से यमुनोत्री धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली के लिए रवाना हुई। इतवार से छह माह तक देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन खुशीमठ (खरसाली) में ही कर सकेंगे। शनिवार को भाई दूज के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत सुबह से ही पूजा अर्चना की गई। सुबह से लेकर दोपहर तक यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने यमुना के दर्शन किए।

 

इसके बाद वैदिक मंत्रोचार के साथ विधिविधान व पूजा अर्चना की गई तथा शुभ मुहूर्त पर कार्तिक शुक्ल द्वितीया को दोपहर 1.27 बजे यमुना जी का मुकुट उतारकर धाम के कपाट बंद किए गए। पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मंदिर से शनिदेव की डोली की अगुआई में यमुना की डोली मंदिर से बाहर निकाली गई। इस मौके पर यमुना के जयकारों से पूरा यमुनोत्री धाम गुंजायमान हो गया। यमुना की डोली ने यमुनोत्री धाम से शीलकालीन प्रवास खरसाली के लिए प्रस्थान किया। यह डोली रात तक खरसाली स्थित खुशीमठ में स्थापित हो गई ।

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