जैविक खेती के लिए गो मूत्र में तलाशेंगे उर्वरक की संभावना

नई दिल्ली । केंद्र सरकार गो मूत्र को बढ़ावा देने के लिए इसमें प्राकृतिक उर्वरक की संभावना तलाश रही है, जिसका इस्तेमाल जैविक खेती में किया जा सके। प्रतिष्ठित शोध संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) को इस संबंध में शोध करने को कहा गया है। नीति आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, आइसीएआर से कहा गया है कि वह गो मूत्र को अमिनो एसिड में तब्दील करने की संभावना तलाशे जिससे इसका इस्तेमाल जैविक खेती में उपज बढ़ाने में किया जा सके। शोध संस्थान को इस संबंध में दो महीने के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट देनी है।

 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री गिरिराज सिंह की नीति आयोग के अफसरों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से इस संबंध में शोध करने की अपील की गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री का सुझाव था कि गाय के गोबर, मूत्र और जैव कचरे का इस्तेमाल जैविक खेती में किस तरह किया जाए, इस दिशा में काम किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग से कई बार कह चुके हैं कि गिरिराज सिंह से इस संबंध में बैठक की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए गाय के गोबर के इस्तेमाल को लेकर बिहार में काफी काम किया है।

 

बैठक में गिरिराज सिंह ने नीति आयोग से कहा कि गो मूत्र रासायनिक उर्वरक का बेहतर विकल्प हो सकता है और इससे उत्पादन को चार से पांच गुना बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि अमीनो एसिड का इस्तेमाल मिट्टी के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व के तौर पर किया जाता है और इससे मिट्टी उपजाऊ बनती है। प्रधानमंत्री मोदी पहले भी देशभर में जैविक खेती के विस्तार पर जोर दे चुके हैं ताकि कृषि क्षेत्र को बदलने के किसानों के प्रयासों का बेहतर पारिश्रमिक मिल सके। सिक्किम 2016 में भारत का पूर्ण रूप से जैविक खेती करने वाला पहला राज्य बन गया था।

Leave a Reply