बसपा प्रत्याशी लोकेन्द्र सिंह ने थामा कांग्रेस का हाथ, सिंधिया के समक्ष ली पार्टी की सदस्यता 

अशोकनगर । पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ऐतिहासिक गुना-अशोकनगर- शिवपुरी लोकसभा सीट को लेकर एक अनार 100 बीमार का किस्सा हो रहा है। हालांकि अभी सिंधिया खुद भी इतने एक्टिव हैं कि सीट पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए हैं। कहा जाता है कि उनकी गितनी उन जनप्रतिनिधियों में होती है, जो अपने इलाके हर सुख-दुख का पूरा ख्याल रखते हैं। उनकी छोटी से छोटी बातों की भी फिक्र करते हैं। बैसे किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए यही तो चुनाव में जीत का असली मंत्र होता है। फिर आम आदमी की जरूरत भी केवल बिजली, सडक़, पानी तक ही सीमित नहीं होती। क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपने इलाके के लोगों की जरूरतों पर इस तरह से नजर होती है कि पिछले कुछ माह पहले उन्होने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को समझते हुए अण्डर ब्रिज के लिए अपनी सांसद निधि से रेलवे को दो करोड़ रुपया की राशि दी थी। ये छोटी-छोटी बाते हीं नेता का जनाधार बढ़ाती हैं। 
-बसपा प्रत्याशी सिंधिया से जा मिले: 
क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रीयता और उनकी क्षेत्र के लिए अच्छी पकड़ के चलते ऐन वक्त पर बहुजन समाज पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। बसपा प्रत्याशी लोकेन्द्र सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के पाले में जा बेठे। बीती शाम शिवपुरी में प्रेसवार्ता में इसका खुलासा करते हुए श्री सिंधिया के समक्ष बसपा प्रत्याशी ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किये। बसपा प्रत्याशी को कांग्रेस का हाथ थामने के बाद अब मात्र चुनाव चिन्ह हाथी ही है। बसपा प्रत्याशी द्वारा जिस समय चुनाव की शुरुआत की गई थी, उस समय सिंधिया महल के खिलाफ खुब हल्ला बोला था। वह जब भी क्षेत्र में आते क्षेत्र की अव्यवस्थाओं को बताते थे। लेकिन बसपा प्रत्याशी लोकेन्द्र सिंह किरार आखिरकार सिंधिया के आगे नतमस्तक हो गए और उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं क्षेत्रीय सांसद सिंधिया से इसलिए प्रभावित होने का कारण उनके द्वारा क्षेत्र की हर समस्या को गंभीरता से लेना, क्षेत्र की जनता के लिए हर समय उनके समक्ष खड़े रहने एवं आंगे भी क्षेत्र के विकास को समझते हुए मैने कांग्रेस का साथ दिया है। 
-कांग्रेस को मिल सकता है लाभ: 
बसपा प्रत्याशी के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि बसपा प्रत्याशी के पारा बदलने से बसपा कमजोर होगी। क्योंकि प्रत्याशी नहीं होगा तो मतदाता किस प्रत्याशी को वोट करेगा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। क्योंकि बसपा बिना प्रत्याशी के मैदान मे है। इधर गुना- अशोकनगर में भी कई ऐसे दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष सहित भाजपा के पूर्व मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल भी शामिल है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष कांग्रेस में शामिल होकर वह भी सिंधिया का समर्थन कर रहे हैं। जिससे माना जा रहा है कि कांग्रेस मजबूत होगी और श्री सिंधिया अधिक मत अपने खाते में कर पाएगें। वहीं भाजपा को इससे नुकसान हो सकता है। क्योंकि चुनावी गणित को समझे तो बसपा यदि अपना वोट बैंक बनाती है तो इसका फायदा भाजपा को मिलता है। यदि इस वोट बैंक का इस्तेमाल कांग्रेस की तरफ होता है, तो भाजपा को इसका नुकसार उठाना पड़ सकता है। लोकसभा में ढाई लाख बसपा का वोट बैंक है हर बार यह वोट बैंक जिस पाले में पड़ता है वहां हारजीत हो जाती है। बहरहाल अकेले प्रत्याशी के कांग्रेस में जाने से बसपा का वोट बैंक भी उसके साथ ही चला गया। वहीं बसपा नेताओं का कहना है कि बसपा प्रत्याशी पार्टी के निर्देश पर नहीं गया। वह अपने मर्जी से गया है इसलिए वोट तो हाथी में ही पड़ेगें। बसपा नेताओं का कहना है कि हम गांव-गांव लोगों के बीच जाएगें और प्रचार करेगें। हमारा सिंवल हाथी है उसी को वोट कराएगें।

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