बीते 7000 वर्षों में ऐसा पहले नहीं हुआ जो यहां अब हो रहा है

नई दिल्‍ली । मौसम में बदलाव या यूं कहें कि क्‍लाइमेट चेंज का असर अंटार्कटिका पर सीधेतौर पर दिखाई दे रहा है। यहां पर बीते सात हजार वर्षों में ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला जो अब दिखाई दे रहा है। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में पानी का स्‍तर बढ़ रहा है। माना यह जा रहा है कि 7000 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां पर पानी का जलस्‍तर इतना हो गया है। इसकी वजह यहां पर तेजी से टूटते ग्‍लेशियर और तापमान का बढ़ना है। ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां पर गर्म पानी तक सतह पर आ गया है।

 

टूटकर अलग हो गया 5800 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा 

 

यहां पर यह बात ध्‍यान रखने वाली है कि इसी वर्ष जुलाई में अंटार्कटिका से करीब 5800 वर्ग किलोमीटर का एक हिस्सा टूटकर अलग हो गया था। आकार की तुलना में यह दिल्‍ली जैसे करीब चार अन्‍य शहरों के बराबर था।

मौजूदा समय में इस पूरे इलाके में पानी पर तैरती बड़ी बड़ी हिमचट्टानें आसानी से दिखाई दे रही हैं। दरअसल, अंटार्कटिका दुनिया के सातों महाद्वीपों में से सबसे ठंडा महाद्वीप है। यह सबसे दुर्गम तथा मानव-बस्तियों से सबसे दूर स्थित जगह भी है। यह साल के लगभग सभी महीनों में दुनिया के सबसे अधिक तूफानी समुद्रों और बर्फ के बड़े-बड़े तैरते पहाड़ों से घिरा रहता है।

 

आस्ट्रेलिया से बड़ा है अंटार्कटिका 

 

इसका कुल क्षेत्रफल 1.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से वह आस्ट्रेलिया से बड़ा है। अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है, इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान माना जाता है। वहां की औसत वार्षिक वृष्टि मात्र 200 मिलीमीटर है। बफीर्ली जगह होने के नाते यहां पर पानी का तापमान काफी कम है। यहां करीब 300 मीटर की गहराई में भी बेहद ठंडा पानी है। लेकिन अब इसका तापमान लगातार बदल रहा है और यह बर्फ को पानी में पिघलाने वाले तापमान तक पहुंच गया है। यही वजह है कि यहां पर अब बर्फ पहले की तुलना में न सिर्फ कम है बल्कि पहले जितनी मजबूत या यूं कहें की मोटी नहीं रही है।

 

दिल थाम कर रहिएगा आप, PSB के जरिए नासा उठाएगा सूरज के रहस्यों से पर्दा

 

सदियों से दूषित हो रहे वातावरण का नतीजा

 

यहां पर बर्फ के पिघलने का सिलसिला बीते कुछ वर्षों से ही शुरू नहीं हुआ है बल्कि यह सदियों से दूषित हो रहे वातावरण का ही नतीजा है। यहां पर तापमान एक समान अब दिखाई नहीं देता है। एक तरफ जहां इसके पूर्व में बर्फीली चट्टानों की मोटाई और मजबूती अधिक है वहीं पश्चिम में यह कम होती गई है। हाल ही में यह बात सामने निकलकर आई है कि पहले की तुलना में यहां पर बर्फीली चट्टानों में करीब 18 फीसद तक की कमी आई है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि महाद्वीप के समुद्र में बर्फ की चादर का दायरा इस साल रिकार्ड निम्न स्तर पर पहुंच गया है।

Leave a Reply