मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने गिनाईं खामियां, राहुल ने मानी गलती, कहा- 2019 में सुधारेंगे!

2019 लोकसभा चुनावों की रणनीतिक तैयारियों के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज उदारवादी मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिले. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों नें राहुल गांधी को सलाह दी कि कांग्रेस अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई जिसकी वजह से मुस्लिम समाज कांग्रेस से दूर होता चला गया. लिहाजा कांग्रेस को 60-70 के दशक के सिद्धांतों पर लौटने की जरूरत है. 


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ इस बैठक में मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सलाह दी कि पार्टी को कम्यूनिटी की नहीं, बल्कि पावर्टी की बात करनी चाहिए. क्योंकि जब कांग्रेस कम्यूनिटी की बात करती है तो विरोधियों को सवाल उठाने का मौका मिल जाता है. इन बुद्धिजीवियों का कांग्रेस अध्यक्ष से कहना है कि कांग्रेस में सिर्फ 4 फीसदी दाढ़ी टोपी वाले मुस्लिमों की बात होती है जो हलाला, ट्रिपल तलाक जैसे सनसनीखेज मुद्दे उठाते हैं. लेकिन 96 फीसदी मुसलमानों के वही मुद्दे हैं जो बाकी देश के मुद्दे हैं जैसे गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा. जिसके बाद राहुल गांधी ने भी माना की कांग्रेस से गलती हुई है.


गौरतलब है कि 2014 की हार से सबक लेते हुए कांग्रेस आगामी चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को रोकना चाहती है. इसके लिए राहुल गांधी ने मुस्लिमों से जुड़ने के लिए उन चेहरों को चुना है, जो कट्टरपंथी नहीं बल्कि उदारवादी और विद्वान समझे जाते हैं.


राहुल के साथ मिलने वाले मुस्लिम चेहरों में समाजसेवी शबनम हाशमी, जोया हसन, जामिया मिल्लया इस्लामिया की पूर्व कुलपति सईदा हामिदा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष जेड के फैजान का नाम शामिल है.


राहुल इस बैठक के ज़रिए मुस्लिम समाज को कांग्रेस से अलग होने से बचाना चाहते हैं. खासकर पिछले कुछ समय से कांग्रेस जिस तरह से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चली है उससे मुस्लिमों में ये संदेश गया है कि अब उनकी चिंताओं पर ये पार्टी पहले की तरह मुखर नहीं रहेगी. बैठक का उद्देश्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों से ये राय भी जानना था कि कैसे चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण को रोका जाए. राहुल इन लोगों से मिली राय को अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल कर सकते हैं.


कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद का कहना है कि राहुल गांधी उन लिबरल लोगों से मुलाकात करते रहेंगे, जिनकी सोच सही दिशा में है. इस तरह का संवाद कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद दूसरी और भी बैठकें होंगी.


बदली रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी मुस्लिम कट्टरपंथियों से अलग दिखना चाहती है, ताकि बीजेपी इस संवाद को मुद्दा बनाकर फायदा न उठा सके. अतीत में दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. पार्टी अब ये गलती दोहराना नहीं चाहती.


मुस्लिम बुद्धिजीवियों, विचारकों के साथ राहुल के होने वाले संवाद में इतिहासकार, लेखक, पत्रकार और न्यायविद सहित तमाम क्षेत्रों से लोग शामिल किए जाएंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी इस आयोजन से जुड़े रहेंगे.


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