मोदी राज में बढ़ा हिंदी का गौरव, संयुक्त राष्ट्र ने शुरू की हिंदी में ब्लॉगिंग

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने गुरुवार को हिंदी भाषा में लिखे गए संयुक्त राष्ट्र के ब्लॉग को ट्विटर पर शेयर किया है. अकबरूद्दीन ने ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा कि अब वे (संयुक्त राष्ट्र) हिंदी में ब्लॉगिंग कर रहे हैं. कहा जाता है कि पूरी दुनिया में हिंदी भाषा, इसे बोलने वालों की संख्या के आधार पर संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनने का अधिकार रखती है. इसके बावजूद भी हिंदी को अभी तक संयुक्त राष्ट्र में शामिल नहीं किया गया है. 

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था यूएन में पहला हिंदी भाषण
पहली बार संयुक्त राष्ट्रसंघ के अंतरराष्ट्रीय मंच पर साल 1977 की जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना भाषण हिंदी में देकर देश का गौरव बढ़ाया था. हिंदी को दुनिया भर में प्रचारित-प्रसारित करने का यह छोटा सा प्रयास अटल जी ने शुरू किया था.

अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिए गए अटल जी के पहले हिंदी के भाषण को दुनिया भर में प्रशंसा मिली थी. इसके बाद से ही संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. अटल जी ने अपने भाषण में 'वसुधैव कुटुंबकम' का संदेश देते हुए मानव अधिकारों के साथ रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र किया था.   

यूएन में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने में यह हैं परेशानियां
'संयुक्त राष्ट्र में हिंदी एक अधिकारिक भाषा क्यों नहीं है' के सवाल पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसी साल लोकसभा में कहा था कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण नियम है. उन्होंने बताया कि यूएन के 193 सदस्य देशों में से दो तिहाई सदस्यों (129 देशों) को हिंदी को अधिकारिक भाषा बनाने के पक्ष में वोट करना होगा. उन्होंने बताया था कि इस प्रक्रिया के लिए भारत को वित्तीय लागत भी साझा करनी होगी. स्वराज ने कहा था कि हम फिजी, मॉरिशस जैसे देशों से समर्थन पाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि संख्याबल जुटा लेने पर हम हिंदी को अधिकारिक भाषा बनाने के लिए जरूर यूएन में आवेदन करेंगे. 

साल 2014 में पीएम मोदी ने दिया था हिंदी में भाषण
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया था. गौरतलब है कि हिंदी भाषा दुनिया के 93 देशों में विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाई जाती है. साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र में अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी और चीनी भाषा ही आधिकारिक भाषाएं थीं. बाद में इनमें अरबी और स्पेनिश शामिल कर लीं गई.

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