यहां 14 पति की आयु के बराबर होती है एक पत्नी की उम्र, ऐसा अजब है नियम

14 पति के बराबर पत्नी की उम्र यह सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन जब मैल से असुर का जन्म हो सकता है और पसीने की बूंद से हनुमानजी को पुत्र प्राप्त हो सकता है तो ऐसा होना भी आश्चर्य की बात नहीं है। और जब यह बात स्वयं वह स्त्री कह रही हो कि उसके 14 पति होंगे फिर उसकी आयु समाप्त होगी तो बात और भी रोचक हो जाती है। इस रहस्य में आपको और ना उलझाते हुए आपको पुराणों की अनोखी कहानियों में ले चलते हैं और बताते हैं कि देवराज इंद्र और अप्सरा की उम्र कितनी होती है। अगले जन्म में इन्हें कौन सा शरीर प्राप्त होता है।

इस रहस्य से पर्दा तब उठा जब भगवान शिव के वरदान से उत्पन्न ऋषि मार्कण्डेय जिन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी उनकी तपस्या से घबराए इंद्र ने अपनी अत्यंत रूपवती अप्सरा उर्वशी को उनके पास तपस्या भंग करने के लिए भेजा।
भगवान नारायण की जंघा से उत्पन्न अप्सरा उर्वशी को अपने रूप पर बहुत अहंकार था। वह ऋषि से कुछ दूरी पर आकर कामुक नृत्य करने लगी लेकिन इसका मार्कण्डेय ऋषि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जब उर्वशी ने अपने सारे प्रयास व्यर्थ होते देखा तो वह निर्वस्त्र होने लगी। अप्सरा के इस व्यहार पर ऋषि ने आंखें खोल दी और पूछा आप यह सब क्यों कर रही हैं। ऋषि के वचनों से अप्सरा लज्जित हो गई।

उर्वशी लज्जित भाव में जवाब देते हुए बोली कि ऋषि आप जीत गए मैं हार गई। मैंने आपकी तपस्या भंग करने के लिए बहुत कुछ किया फिर भी आपकी तपस्या भंग नहीं कर पाई। उर्वशी अपनी हार स्वीकारते हुए बोली- ऋषि आप सच्चे ब्रह्मज्ञानी हैं। उर्वशी ने बताया कि वह वर्तमान इंद्र की पटरानी हैं और हारकर स्वर्ग जाएंगी तो देवराज उनसे क्रोधित होंगे और उनका अनादर करेंगे।

ऋषि ने शांत भाव से पूछ कि आप अभी इंद्राणी हैं और इंद्र की मृत्यु हो जाए तो फिर आपका क्या होगा, फिर आपके सम्मान का क्या होगा? अप्सरा ने बताया कि इंद्र का पद कभी रिक्त नहीं रहता है एक इंद्र के जाने के बाद दूसरे इंद्र उस गद्दी पर आ जाते हैं। एक इंद्राणी की आयु उतनी होती है जितने 14 इंद्र की होती है। इंद्राणी का पुण्य इंद्र से अधिक होता इसलिए वह इंद्र से अधिक समय तक स्वर्ग में रहती हैं और 14 इंद्र के साथ स्वर्ग का सुख प्राप्त करती है।

ऋषि ने पूछा कि स्वर्ग से निकाले जाने के बाद इंद्र का क्या होता है। इसका जवाब देते हुए अप्सरा ने बताया पुण्य का नाश होने पर इंद्र स्वर्ग से मृत्युलोक में वापस आ जाते हैं और उन्हें गधा का जन्म मिलता है। इंद्राणी भी पुण्य क्षय होने पर मृत्यु लोक में आ जाती है और अपने 14 पतियों के साथ रहती है।
 

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