ये मास्क नहीं बल्कि जिंदगी है – सारिका घारू 

भोपाल।  देश की दिसम्बर 1976 तक जन्म ले चुकी आबादी को अब जबकि वैक्सीन लगाने का काम चल रहा है तब 1977 के बाद की युवा जनसंख्या के लिये मास्क ही जिंदगी की संजीवनी है। यह संदेश देने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू इन दिनों प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर युवाओं, बच्चों को निरंतर मास्क लगाये रखने के लिये प्रेरित कर रही हैं। वे अपने कार्यक्रम में पोस्टर, कटआउट, तथा गीतों के माध्यम से जागरूक कर रही हैं। सारिका ने बताया कि युवाओं , विद्यार्थियों , किशोरियों में मास्क लगाने का प्रतिशत कम ही देखा जा रहा है। अब जबकि नवजातों में भी कोविड के लक्षण पाये जा रहे हैं तब यह मास्क की अवहेलना अत्यंत घातक सिद्ध हो सकती है। सारिका ने संदेश दिया कि घर से बाहर रहते समय मास्क से अपने मुंह एवं नाक को पूरे समय ढंके रखकर संक्रमण से बचा जा सकता है। वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क लगाये रखना है। ये मास्क नहीं बल्कि जिंदगी है। इसलिये मास्क जरुरी है। 

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