रघुराम राजन को बनाएं नया फेड चेयरमैन, अमेरिकी मैगजीन बैरन्स का प्रपोजल

नई दिल्ली. अमेरिका की मशहूर फाइनेंशियल मैगजीन ‘बैरन्स’ ने फेडरल रिजर्व के नए चेयरमैन के लिए रघुराम राजन के नाम प्रपोज किया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन के पक्ष में मैगजीन ने कई दलीलें दी हैं। सबसे बड़ी दलील यह है कि राजन के समय भारत में महंगाई दर आधी रह गई थी, शेयर मार्केट 50% से ज्यादा बढ़ा और रुपए में भी स्थिरता आई।

– मैगजीन का कहना है कि जब स्पोर्ट्स टीमें दुनियाभर से बेहतरीन टैलेंट ला सकती हैं, तो यह बात सेंट्रल बैंकों पर क्यों नहीं लागू हो सकती। फेडरल रिजर्व अमेरिका का सेंट्रल बैंक है। अगले चेयरमैन के तौर पर ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में कई नामों की चर्चा है। इनमें राजन का नाम नहीं है। फिर भी मैगजीन की तरफ से उनका नाम लेना चौंकाता है।

– इसने कहा है कि गैर-अमेरिकी होना मुद्दा नहीं है। कनाडाई मूल के मार्क कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं।

शिकागो में प्रोफेसर हैं राजन

– राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल में प्रोफेसर हैं। वह 2003 से 2006 के दौरान आईएमएफ के सबसे कम उम्र के चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च डायरेक्टर थे।

– राजन ने 2005 में आईएमएफ की कॉन्फ्रेंस में अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाए थे। एलेन ग्रीनस्पैन तब फेड चीफ थे।

– उन्हें फेड रिजर्व के अब तक सबसे प्रभावशाली चेयरमैन में गिना जाता है। तब वहां मौजूद दूसरे इकोनॉमिस्ट ने राजन को नजरअंदाज किया था, लेकिन दो साल बाद ही उनकी बात सही साबित हुई।

 

जेरोम पॉवेल को नया फेड चेयरमैन बना सकते हैं ट्रम्प

– ‘द टाइम’ मैगजीन के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प, जेरोम पॉवेल को फेड का नया चेयरमैन बना सकते हैं।

– पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने 2012 में पॉवेल को फेड रिजर्व का बोर्ड मेंबर अप्वॉइंट किया था। मौजूदा फेड चेयरपर्सन जेनेट येलन का टेन्योर फरवरी 2018 में खत्म होगा।

फेड पॉलिसी से तय होती हैं दूसरे देशों की पॉलिसी

– अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। उसकी 1200 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी भारत से आठ गुना बड़ी है।

– फेड रिजर्व की पॉलिसी का असर दूसरे देशों पर भी पड़ता है। खासकर भारत जैसे देशों पर।

– इसका उदाहरण तब दिखा, जब फेड ने इकोनॉमिक क्राइसेस के बाद से जारी रिलीफ पैकेज में कटौती की। इसके बाद दुनियाभर के शेयर बाजार गिर गए थे।

राजन के नाम का प्रपोजल क्यों?

– राजन के आरबीआई गवर्नर रहते भारत में महंगाई दर 9.8% से घटकर 4.3% रह गई थी।

– सेंसेक्स 18900 से 50% से ज्यादा बढ़कर 28400 तक पहुंच गया था।

– डॉलर और दूसरी विदेशी करेंसी की तुलना में रुपए में स्थिरता आई थी।

– राजन ने 2007-08 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसेस की भविष्यवाणी की थी।

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