‘रूपे कार्ड ‘ को बढ़ावा दें बैंक – निर्मला सीतारमण

मुंबई । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से  'रूपे कार्ड ' को बढ़ावा देने का कहा। उन्होंने कहा कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) भारत के एक दिग्गज उत्पाद ब्रांड की ख्याति अर्जित करे। सीतारमण ने बैंकों से यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के साथ डिजिटल तरीके से भुगतान पर जोर देने एवं गैर-डिजिटल भुगतान को यथासंभव हतोत्साहित करने को कहा। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 73वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए सीतारमण ने बैंकों को सभी खातों को संबंधित ग्राहकों की आधार संख्या से जोड़ने का काम 31 मार्च, 2021 तक पूरा करने का कहा। देश में खासकर कोरोना वायरस महमारी के बीच डिजिटल और संपर्क रहित भुगतान पर जोर के साथ वित्त मंत्री ने डिजिटल भुगतान माध्यम को बढ़ावा देने की बात कही। सीतारमण ने कहा कि रूपे का उपयोग दुनिया भर में हो रहा है, ऐसे में इसके अलावा कोई अन्य कार्ड देने का मतलब नहीं बनता। रूपे भुगतान कार्ड है जिसे एनपीसीआई ने जारी किया। रिजर्व बैंक और आईबीए की पहल एनपीसीआई देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली का शीर्ष संगठन है। उन्होंने कहा, ‘‘ जब रूपे वैश्विक हो गया है, तब ऐसे में मुझे नहीं लगता कि भारतीयों को रूपे के अलावा अन्य कार्ड दिये जाएं। अत: रूपे कोर्ड को बढ़ावा दीजिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि एनपीसीआई ब्रांड इंडिया उत्पाद बने।।।।'' मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान को जोर-शोर से बढ़ावा दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित और अन्य रूप से किये जाने को वाले भुगतान को हतोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) आधारित भुगतान को अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर तक सभी खातों को आधार से जोड़े। अगर यह उस समय तक पूरा नहीं होता, इसे 31 मार्च, 2021 तक पूरा किया जाए। साथ ही जहां भी लागू हो, खातों को पैन से संबद्ध किया जाए।'' बैंकों के विलय के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी इच्छा है कि जिन बैंकों में दूसरे बैंकों का विलय हुआ है, वे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की तरह बड़े वित्तीय संस्थान बने। उन्होंने कहा, ‘‘विलय के बाद हमारे पास देश में आठ और एसबीआई जैसे बैंक हो सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप अपनी ऊर्जा इस बात में लगाएंगे कि इस दिशा में कितना बेहतर किया जा सकता है। केवल आकार ही नहीं बल्कि यह भी देखना है कि बैंक विविध गतिविधियों में शामिल हों। भारत का बड़े बैंकों पर जोर है।''

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