रूसी पुराविद् वैज्ञानिकों को मिली 5 हजार साल पुरानी खोपड़ी, दिमाग की हुई थी सर्जरी

मास्को । हजारों साल पहले मानव की शल्यक्रिया के प्रमाण मिलते हैं पर इसके व्यावहारिक रूप से प्रचलन की संभावना कम ही मिलती है लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि रूसी वैज्ञानिकों को किसी ऐसे आदमी की खोपड़ी मिली है जिसने दिमाग की शल्य क्रिया करवाई थी। यह खोपड़ी पांच हजार साल पुरानी है। रूसी वैज्ञानिकों को यह खोपड़ी क्रीमिया में मिली है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दिमाग की यह शल्यक्रिया सफल नहीं रही होगी और बहुत संभव है कि यह व्यक्ति इस शल्य क्रिया के दौरान ही मर गया होगा। शोधकर्ताओं ने इस खोपड़ी की 3 डी तस्वीरें ली जिनसे पता चलता है कि 20 से 30 साल की उम्र के रहे इस कांस्य युगीन व्यक्ति की खोपड़ी में ट्रेपैनशन सर्जरी की गई थी। इस तरह की सर्जरी के लिए उस जमाने में मरीज की खोपड़ी में एक छेद किया जाता था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शल्य क्रिया सफल नहीं रही होगी जिसकी वजह से यह बदकिस्मत इंसान ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सका होगा। कॉन्टेक्चुअल एंथ्रोपोलॉजी लैबोरेटरी की प्रमुख डॉ. मारिया डोब्रोवोल्स्काया के मुताबिक यह स्पष्ट है कि घाव भरने के संकेत जाहिर तौर पर दिखाई नहीं दिए क्योंकि ट्रेपैनेशन के निशान हड्डी की सतह पर साफ तौर पर दिखाई दे रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी ऑफ द रशियन एकेडमी ऑफ साइंस मॉस्को के वैज्ञानिकों ने कहा कि पुराने चिकित्सकों के पास निश्चित तौर पर पत्थर के सर्जरी उपकरण रहे होंगे। रिपोर्ट में बताया गया कि खोपड़ी एक कंकाल के साथ एक गहरी कब्र में पाई गई थी हड्डियों की स्थिति को देख कर पता चला था कि मरीज का शरीर उसकी दाईं ओर मोड़ कर रखा गया था। जबकि उसके पैरों को बाएं तरफ घुटनों तक मोड़ कर रखा गया था। दो पत्थर के तीरे के फल भी उसे साथ दफनाए गए थे।
डॉ. डोब्रोवोल्स्काया ने बताया कि पुराने  समय में ट्रेपैनेशन से बच जाने की दर काफी ज्यादा थी। इस तथ्य के बाद भी यह आदमी इस मामले में खुशकिस्मत नहीं था और बच नहीं सका होगा। पाषाण युग के पुरातत्वविज्ञान शोधकर्ता ओलेस्या उस्पेन्स्काया का कहना है कि उस समय के चिकित्सकों ने तीन तरह के निशान शरीर पर छोड़े थे जो अलग-अलग तरह के पत्थर के चाकू से लगे थे। शोधकर्ताओं के अनुसार दिमाग की शल्य क्रिया का उपयोग उस जमाने में गंभीर सिरदर्द, हेमाटोमा, सिर के घाव या मिरगी के इलाज के लिए की जाती रही होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने जमामे में ट्रेपैनेशन का शल्य क्रिया और कुछ रिवाजों के तौर पर उपयोग किया जाता था। कुछ मामलों में तो उसका उपयोग इंसान का व्यवहार बदलने तक के लिए किया जाता था। रूस में हुए शोध बताते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में इस तरह की पुरानी शल्य क्रियाओं में दर्द को कम करने के लिए भांग, मैजिक मशरूम और  कुछ झाड़फूंक क्रियाओं का उपयोग होता था।

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