सऊदी अरब में भूख से सड़क पर तड़प रहे 24 भारतीय, सरकार से वतन लौटने की लगाई गुहार
श्रमिकों ने तेलंगाना के एनआरआई मामलों के मंत्री के टी रामाराव को एक वीडियो संदेश भेजा है जिसमें उन्होंने मदद की गुहार लगाई है। मंत्री ने श्रमिकों से संपर्क करने के लिए सभी का ब्यौरा मांगा है। श्रमिकों का कहना है कि ''हमारे पास खाने लिए खाना नहीं है, हम सड़कों पर रह रहे हैं। कंपनी द्वारा हमें मारने के लिए जोखिम भरा काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।'' मंत्री को लिखे चार पेज के पत्र में श्रमिकों ने अपने दर्द और हालात को बयां किया है।
पासपोर्ट किया जब्त, श्रमिकों को कपंनी ने दी जेल भेजने की धमकी
गौरतलब है कि बीते अक्टूबर 2016 में, एक एजेंट द्वारा कर्मचारियों का साक्षात्कार लिया गया और उन्हें सऊदी अरब के रियाद भेजा गया। श्रमिकों का कहना है कि हालांकि, रियाद पहुंचने पर उन्हें एक अलग कंपनी के लिए वेल्डर और पाइप फिटर के निर्माण का काम करने के लिए बताया गया, निर्माण स्थल पर किसी तरह का सुरक्षा किट भी नहीं दिया गया।
यहां तक कि उन्हें भोजन तक नहीं दिया गया और न ही किसी तरह का कोई पहचान पत्रा दिया गया जिससे कि वे वहां पर कानूनी तौर पर अपनी पहचान दे सके। बीते 6 अप्रैल, 2017 को भारतीय दूतावास ने सऊदी छोड़ने के लिए श्रमिकों को एक आपातकालीन प्रमाण पत्र प्रदान किया था जिससे कि उन्हें एक उम्मीद की किरण दिखार्द दी।
हालांकि बाद में कंपनी ने श्रमिकों को देश छोड़ने से रोकने के लिए 9 अप्रैल को जल्दबाजी में पहचान बनाया और इस बारे में दूतावास को सूचित किया। 14 अप्रैल को दूतावास ने श्रमिकों को सूचित किया कि वे छोड़ कर नहीं जा सकते। कपंनी ने श्रमिकों के पासपोर्ट जब्त कर दिए और वापस काम पर लौटने के लिए कहा। यही नहीं उन्हें यह भी कहा गया कि अगर वे कंपनी में वापस नहीं लौटे तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।