ससुरालियों के सम्मान में चप्पल नहीं पहनती महिलाएं, रहती हैं जीवन भर नंगे पैर

 

श्योपुर जिले में आदिवासी समाज में आज भी यह परम्परा है कि शादी होने के बाद महिलाएं अपने ससुराल में चप्पलें नहीं पहन सकेंगी। इसके पीछे की वजह यह है कि महिलाओं के द्वारा पैरों में चप्पल पहनने से उनके समाज के बडे बुजुर्गों को खास तौर पर पुरूषों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती है। उन्हें लगता है कि महिलाएं उनके सामने चप्पल पहनकर रहेंगी, तो यह उनकी बेइज्जती है। इसलिये समाज के लोगों ने कई साल पहले तो तुगलगी टाइप का फरमान जारी किया था। समाज की महिलाएं उसे अभी भी मानने को मजबूर हैं। इन हालातों में महिलाएं ससुराल के घर से लेकर पूरे गांव में आते-जाते या कोई भी काम करते समय नंगे पैर ही रहती हैं। गांव से बाहर जाते समय उन्हें चप्पल पहनने की छूट रहती है। इसलिये उन्हें घर से लेकर गांव के बाहर तक अपनी चप्पलों को हाथों में उठाकर जाना होगा और रास्ते में कहीं गांव के पुरूष या बडे बुजुर्ग मिल जाएं, तो उन्हें फिर से चप्पलों को अपने हाथों में उठाना होगा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, श्योपुर से जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन तलब किया है।

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