साल में दो बार खुलते हैं इस मंदिर के पट, महिलाअों का जाना है वर्जित

दक्षिण भारत के केरल में सबरीमाला अयप्पा मंदिर स्थित है, जहां पर महिलाअों का जाना वर्जित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी है। उनके ब्रह्मचर्य धर्म को न‌िभाने ल‌िए मह‌िलाओं का मंदिर में प्रवेश मना है। इस मंदिर में हर वर्ष करोड़ों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। जिसमें केवल पुरुष ही होते हैं। 

 

कौन थे श्री अयप्पा
अयप्पा का एक नाम हरिहरपुत्र है। हरि अर्थात विष्णु अौर हर यानी शिव के पुत्र, अयप्पा भगवान इन्हीं के अवतार माने जाते हैं। हरि के मोहनी स्वरूप को ही अयप्पा का मां माना जाता है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पड़ा है। 

 

यह मंदिर 18 पहाड़ियों के मध्य में है, इसे सबरीमला श्रीधर्मषष्ठ मंदिर कहा जाता है। माना जाता है कि परशुराम ने अयप्पन पूजन के लिए सबरीमला में प्रतिमा स्थापित की थी। यहां हर जाति से संबंध रखने वाला व्यक्ति आ सकते हैं। 

 

मंदिर के पट वर्ष में दो बार खोले जाते हैं। एक 15 नवंबर अौर दूसरा 14 जनवरी मकर संक्राति के दिन। इन दिनों भक्त घी से भगवान की प्रतिमा का अभिषेक करवाकर मंत्रों का उच्चारण करते हैं। यहां आने वाले भक्तों को दो महीने पूर्व मांस मछली अौर तामसिक वस्तुअों को छोड़ना पड़ता है। कहा जाता है कि जो भक्त तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर व्रत रखकर यहां पहुंचता है तो उसकी संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।  

 

मंदिर तक जाने के लिए 8 सीढ़ियां हैं। जिनका बहुत महत्व है। इनमें से 5 सीढ़ियां पांच इंद्रियों अौर शेष 3 काम, क्रोध अौर लोभ को दर्शाती है। कहा जाता है यहां आने वाले भक्तों को रात के समय पहाड़ों के मध्य दिव्य ज्योति दिखाई देती है। जिसे माकरा विलाकू कहा जाता है। माना जाता है कि ये स्वयं भगवान अयप्पा हैं तो अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

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