सीरिया के हमले में तुर्की के 33 सैनिकों की मौत, क्षेत्र में बढ़ा तनाव, अंकारा ने दी यूरोपीय यूनियन को धमकी

अंकारा,सीरिया के इदलिब प्रांत में हवाई हमले में तुर्की के 33 सैनिक मारे जाने के बाद तुर्की ने जवाबी कार्रवाई में सीरिया के 45 सैनिकों को मारने का दावा किया है। इन एयर स्ट्राइक की वजह से रूस और तुर्की में तनाव चरम पर पहुंच गया है। दरअसल, सीरिया में बशर-अल-असद सरकार को रूस का समर्थन हासिल है और वह सीरियाई राष्ट्रपति के विरोधी लड़ाकों के खिलाफ अभियान में शामिल हैं। उधर, तुर्की ने तनाव कम करने के लिए इस हमले का आरोप असद पर लगाया है और मॉस्को से तनाव कम करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है।

इस बीच, तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इदलिब को नो फ्लाई जोन घोषित करने की मांग की है। बता दें कि यहां मौजूद लड़ाकों को तुर्की का समर्थन हासिल है और असद के लिए यही सिरदर्द का कारण है। असद को पूरे सीरिया पर नियंत्रण के लिए इस इलाके पर कब्जा करना जरूरी है, लेकिन तुर्की के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। गुरुवार को तुर्की के समर्थन वाले लड़ाकों ने फिर से हमला किया था।

तनाव बढ़ते देख रूस ने कहा है कि उसके दो जंगी जहाज इस्तांबुल के नजदीक है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में रूस के दूस वेस्ली नेबिजिया ने सुरक्षा परिषद को बताया कि वह इदलिब में तनाव कम करने के लिए तैयार है, बशर्ते कोई इसकी पहल करे।

सीरिया के हमले तिलमिलाए तुर्की ने यूरोपीय देशों को भी धमकी दे दी है। तुर्की ने कहा है कि वह यूरोप में प्रवासियों की बाढ़ ला देगा। बता दें कि सीरिया युद्ध के दौरान लाखों प्रवासी तुर्की और आसपास के यूरोपीय देशों में आ गए थे। तुर्की में करीब 40 लाख सीरियाई शरणार्थी हैं। हालांकि शरणार्थियों की संख्या बढ़ने के कारण तुर्की में इसे लेकर बवाल भी हो रहा है। ऐसे में यूरोप पर दबाव बनाने के उद्देश्य से तुर्की ने धमकी दी है कि अगर यूरोपीय यूनियन अपने समझौते पर कायम नहीं रहता है तो वह शरणार्थियों को यूरोप जाने के लिए अपना रास्ता खोल देगा। इस बीच, यूरोपीय यूनियन ने तुर्की से कहा है कि वह 2016 में किए गए शरणार्थी समझौते पर कायम रहे। इस समझौते के तहत यूरोपीय देशों ने तुर्की को 6 अरब यूरो दिया था, ताकि शरणार्थी यूरोपीय देशों में न आने पाए।

सीरिया के हमले के बाद तुर्की ने भी असद की सेना पर हमला कर 45 सैनिकों को मारने का दावा किया है। बता दें कि सीरिया के हमले में तुर्की के एक दिन में सबसे ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मे मामले में दखल दिया है और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से फोन पर बात की है। दोनों देशों ने तनाव कम करने के मुद्दे पर बातचीत की। हालांकि, दोनों देशों ने मौजूदा स्थिति पर 'गंभीर चिंता' भी जताई है। गौरतलब है कि तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू से फोन पर हुई बातचीत में नाटो महासचिव ने इदलिब प्रांत में सीरिया सरकार और उसके सहयोगी रूस के अंधाधुंध हवाई हमलों की निंदा की। तुर्की ने इदलिब में उसकी पर्यवेक्षक चौकियों से सैनिकों को हटाने का सीरिया सरकार से अनुरोध किया जबकि मॉस्को ने अंकारा पर सीरिया में ‘आतंकवादियों’ को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया है। माना जा रहा है कि तुर्की के राष्ट्रपति अगले महीने मॉस्को के दौरे पर जा सकते हैं।

2018 के एक समझौते के अनुसार रूस को इदलिब में शांति लानी थी। तुर्की की उस क्षेत्र में 12 पर्यवेक्षक चौकियां हैं लेकिन इनमें से अधिकांश चौकियों पर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की सेना हमला करती रही है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने इदलिब हमले के बाद अंकारा में आनन-फानन में आपात बैठक बुलाई। एर्दोआन के शीर्ष प्रेस सहायक फहरेत्तिन अल्तुन ने बताया कि तुर्की की सेना ने हवाई हमले के बाद सीरिया सरकार के सभी ज्ञात ठिकानों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। इस ताजा हमले का मतलब है कि इस महीने इदलिब में तुर्की के 53 सैनिक मारे जा चुके हैं। इस बीच, अमेरिका ने सीरिया सरकार और उसके सहयोगी रूस से इदलिब में अपना ‘घिनौना’ अभियान बंद करने की मांग की और तुर्की का समर्थन किया। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अपने नाटो सहयोगी तुर्की के साथ हैं तथा असद सरकार, रूस तथा ईरान समर्थित बलों के इस घिनौने अभियान को फौरन खत्म करने की मांग करते रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम इन विकल्पों पर गौर कर रहे हैं कि कैसे इस संकट में तुर्की को सहयोग दिया जा सकता है।’
 

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