हर जिले में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा के लिए एक संस्थान होना जरूरी : मोदी 

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार देश के हर जिले में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा के लिए एक महाविद्यालय या संस्थान स्थापित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में जो खामियां हैं, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है और सरकार बीमारियों से बचाव को प्राथमिकता दे रही है तथा इसके लिए आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। 
राजस्थान के जयपुर स्थित पेट्रोरसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईपीईटी) का उद्घाटन और राज्य के बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा जिलों में चार नए चिकित्सा महाविद्यालयों की आधारशिला रखने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले सात सालों में 170 से अधिक नए चिकित्सा महाविद्यालय तैयार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा नए चिकित्सा महाविद्यालयों पर काम तेज़ी से चल रहा है। उन्होंने कहा आज देश में प्रयास ये है कि हर जिले में एक चिकित्सा महाविद्यालय या फिर स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने वाला कम से कम एक संस्थान जरूर हो। 
पूववर्ती मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसके फैसलों पर सवाल उठते थे और भांति-भांति के आरोप लगते थे। उन्होंने कहा कि इसका बहुत बड़ा प्रभाव देश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा। उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी और अब इन व्यवस्थाओं का दायित्व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के पास है। उन्होंने कहा इसका बहुत बेहतर प्रभाव देश के स्वास्थ्य से जुड़े मानव संसाधन और स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखना शुरू हो गया है। 
पीएम मोदी ने कहा कि 20 साल पहले जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति, स्वास्थ्य ढांचा और चिकित्सा शिक्षा और इलाज की सुविधाओं की बहुत चुनौतियों मिलीं, लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों को स्वीकार किया और मिलकर स्थितियों को बदलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की जो कमियां उन्हें अनुभव हुई उन्हें वह अब प्रधानमंत्री के रूप में दूर करने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा स्वास्थ्य राज्य का विषय है और मैं लंबे समय तक राज्य का मुख्यमंत्री रहा। क्या कठिनाईयां है वह मुझे मालूम थी। भले दायित्व राज्य का हो तो भी उसमें बहुत सारे काम केंद्र सरकार को करने चाहिए। इस दिशा में हमने प्रयास शुरू किया।  प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव के लिए एक नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर काम किया गया और स्वच्छ भारत अभियान से लेकर आयुष्मान भारत और अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन तक ऐसे अनेक प्रयास इसी का हिस्सा हैं। 
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से ही अभी तक राजस्थान के लगभग साढ़े तीन लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है। गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाले लगभग ढाई हज़ार स्वास्थ्य व देखभाल केंद्र आज राजस्थान में काम करना शुरू कर चुके हैं। सरकार का जोर बीमारी से बचाव पर भी है। हमने नया आयुष मंत्रालय तो बनाया ही है, आयुर्वेद और योग को भी निरंतर बढ़ावा दे रहे हैं। 
उन्होंने कहा, आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि छह एम्स से आगे बढ़कर आज भारत 22 से ज्यादा एम्स के सशक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है। इन छह-सात सालों में 170 से अधिक नए चिकित्सा महाविद्यालय तैयार हो चुके हैं और 100 से ज्यादा नए चिकित्सा महाविद्यालयों पर काम तेज़ी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में देश में चिकित्सा की स्नातक और स्नातकोत्तर की कुल सीटें 82 हजार के करीब थीं लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर 1.40 हो गई है। 
उन्होंने कहा कि इस तेज प्रगति का बहुत बड़ा लाभ राजस्थान को भी मिला है और वहां मेडिकल सीटों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर सीआईपीईटी यानी सिपेट का उद्घाटन और चारों चिकित्सा महाविद्यालयों का शिलान्यास किया। उद्घाटन और शिलान्यास समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य मंत्री और जन प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। 

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