6200 फीट की ऊंचाई पर लंका में भी बसी है अयोध्या

नई दिल्ली. जिस जगह से भगवान राम ने युद्ध जीतकर सीता को मुक्त कराया और फिर अयोध्या की तरफ पहला कदम बढ़ाया था। उन दोनों जगह भास्कर पहुंचा और जाना कि इस बार यहां कैसे दीपावली मनाई जा रही है। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 175 किलोमीटर दूर नुवान एलिया में सीता अम्मा मंदिर है। ये इलाका श्रीलंका का फेमस टूरिस्ट प्लेस है। 6200 फीट की ऊंचाई पर लंका में है एक अयोध्या…

 

– इस दूरदराज कोने में जुटे तमिल श्रद्धालुओं में हिंदी कोई नहीं जानता। लेकिन यहां हनुमान चालीसा की गूंज अयोध्या की तरह होती है। यह मंदिर पूरा दक्षिण भारतीय शैली का है। यहां दीपावली के मौके पर विशेष पूजा की तैयारियां चल रही हैं। अभी बारिश का मौसम है। बुधवार को यहां दिनभर बारिश थी।

– हिंदी और तमिल में राम, सीता और हनुमान की स्तुतियां कड़कड़ाती ठंडी हवाओं में अमृत घोल रही हैं। हम यह सुनकर ही यहां आए कि रावण ने सीता का हरण कर यहीं-कहीं उन्हें रखा था। सामने गगनचुंबी पहाड़ियों पर कहीं अशोक वाटिका थी।

– यह एकमात्र मंदिर आज लंका में सीता की उपस्थिति का प्रतीक बन गया है। यहां के पुरोहित ने हमसे बातचीत में राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की प्रतिमाएं पांच हजार साल पुरानी बताईं।

– श्रीलंका सरकार इस जगह को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित कर चुकी है। सैकड़ों भारतीय प्रतिदिन यहां आते हैं। अब आरती शुरू हो चुकी है। हम इस विशेष आरती में शामिल हो रहे हैं। आरती में गुजरात और दिल्ली से आए कई श्रद्धालुओं से भी हम मिले। अब रात हो चुकी है। बाहर हवा काफी तेज है।

– दिन के समय घनी हरियाली की पृष्ठभूमि में देखें मंदिर का रूप इस समय एकदम अलग है। शाम ढलते ही उस पहाड़ी सोते (छोटी नदी) की आवाज लगातार गूंज रही है, जिसके बारे में कहते हैं कि सीता अशोक वाटिका से उतरकर यहीं स्नान के लिए आती थीं।

जहां सीता को बंदी बनाया गया था, अब बना भव्य मंदिर

– किंवदंती के मुताबिक, जहां रावण ने सीता को बंदी बनाया था, वहां एक भव्य मंदिर बन गया है। श्रीलंका सरकार ने इसे अब टूरिस्ट स्पॉट बना दिया है। मंदिर में सीता, राम, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाएं हैं।

– मंदिर 500 एकड़ की अशोक वाटिका का एक हिस्सा है। यहां मुरारी बापू की रामकथा भी हो चुकी है। स्थानीय तमिल सांसदों और 30 हजार तमिल नागरिकों ने मंदिर बनाने में भूमिका निभाई। इसके बाद ही कभी ‘लिटिल इंग्लैंड’ कहलाने वाला यह हिस्सा अब छोटी अयोध्या बन गया है।

इधर सरयू किनारे ऐसा उत्साह जैसे आज ही लौटे हों राम

– अयोध्या की दीपावली इस बार सबसे अलग है। सबसे भव्य है। पूरी अयोध्या राममय और रामायणमय। सुनहरे रंगों से सजी एक प्राचीन नगरी।

– कहीं इंद्रधनुषी रंगोली और कहीं संगीत की स्वर लहरियां। कहीं भजन और कीर्तन तो कहीं नृत्यों की प्रस्तुतियां। अंधेरे में कंदील हवाओं से लड़ रहे हैं और पूरी अयोध्या को जगमग कर रहे हैं।

– पूरी अयोध्या और उसकी कॉलोनियां दीपों से विशेष तौर पर सजाई गई हैं। उम्मीदों से जगमगाती अयोध्या के वासियों के लिए ये नए सपनों का राज्याभिषेक है।

– अयोध्या में एेसा पहली बार हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरयू के किनारे राम की पैड़ी पर 2 लाख दीप जलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहे हैं।

10 हजार मंदिर दीयों से सजाए, पहली बार दीपावली पर जुटे 2 लाख लोग

– अयोध्या में इस बार बड़ी संख्या में लोग साउथ इंडिया से आए हैं। पूरे शहर के करीब 10 हजार मंदिरों को दीयों से सजाया गया है। मानों जैसे पूरे देश की दीपावली ने अयोध्या में आकार ले लिया है।

– दिनभर के प्रोग्राम में करीब 2 लाख लोग मौजूद रहे। दीपावली पर अयोध्या में ऐसा पहली बार हुआ। कनक भवन से अलसुबह हेरिटेज वॉक निकली और नागेश्वरनाथ मंदिर पहुंची।कनक भवन राम जन्म भूमि के पास और नागेश्वरनाथ मन्दिर सरयू नदी के किनारे है।

– अयोध्या के शिक्षक विंध्य मणि त्रिपाठी बताते हैं कि यहां लुप्त होती लोक कलाओं को भी देखा जा सकता है और उत्तरप्रदेश के पुराने जातीय लोक नृत्यों को भी। जैसे फरवाही और धोबिया नृत्य।

– मनोज कुमार पासी हैरान होकर बताते हैं कि मैंने पहली बार 55 साल की उम्र में यहां इंडोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका के कलाकारों को रामायण करते देखा है। हैरान हूं, उन देशों में भी ऐसी सुंदर रामलीला है।

– दोपहर में जब शोभायात्रा निकली तो मानो श्रीराम की पूरी सेना का दृश्य सामने आ गया। 10 अलग-अलग रथों पर सभी सवार थे। अयोध्या का अलग ही स्वरूप देखना हो तो सात प्रमुख अखाड़ों में देखिए।

– निर्वाणी अखाड़ा हो या खाकी अखाड़ा, दिगम्बर और निर्मोही अखाड़ा हो या फिर संतोषी अखाड़ा, यहां साधुओं की अयोध्या अध्यात्म के उपदेशों से जगमग हो रही है। निरलम्बी और महानिर्वाणी अखाड़े की दीपावली भक्ति और भावना के दीपों से जगमग है। उधर एक अलग ही नज़ारा यहां की छावनियों में है।

छावनियां यानी सैनिक नहीं; साधुओं के असाधारण आश्रम

– ये छावनियां नरसिंहदास, रघुनाथदास, बाबा रामप्रसाद, तपस्वी जी और मणिराम दास जी की हैं। महंत नृत्य गोपालदास बताते हैं, अयोध्या तो रामराज्य की प्रतीक है। वहां से कोई भूखा कैसे जा सकता है। हम राम-भरत मिलन मंदिर पहुंचते हैं और उस जगह जाते हैं, जहां राम अयोध्या पहुंचने से पहले पहुंचे।

– ये नंदीग्राम है और यहां एक युवा साधु कहते हैं अयोध्या आज के विकास का ब्लू प्रिंट है। नाम पूछने पर वे कहते हैं हम हैं अनाम साधु। उनके हाथ में एक ड्राइंग है और उसमें स्मार्ट शहर के नक्शे बने हैं। वे कहते हैं कि दुनिया की सबसे पहली स्मार्ट सिटी थी अयाेध्या। वाल्मिकी ने बालकांड के पांचवें सर्ग में इसकी खूबियों का वर्णन किया है। यह कोशल जनपद का शहर था। सरयू नदी के किनारे बसा था। यह उस काल का शिक्षा, संस्कार, कृषि और व्यापार का सबसे प्रमुख केंद्र था। शहर के संस्थापक मनु थे। ये देखो बालकांड। सब अवाक।

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