Alert: अगले 15 सालों में नहीं मिलेगा पानी, गंगा-यमुना खतरे में

कन्याकुमारी से चलकर लगभग नौ हजार किलोमीटर का सफर तय कर नदी अभियान रैली रविवार को हरकी पैड़ी पहुंची। हरकी पैड़ी के पास वीआईपी घाट परिसर में आयोजित रैली का नेतृत्व कर रहे सदगुरु जग्गी वासुदेव के साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, स्वामी चिदानंद मुनि, बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद, जत्थेदार इकबाल सिंह आदि दिग्गजों ने नदियों को बचाने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की।

समारोह में कहा गया कि हर इंसान पानी पीता है उसे नदी अभियान में हिस्सा लेना चाहिए। रैली का समापन सोमवार को दिल्ली में होगा। 

दस करोड़ मिस्ड कॉल चाहिए : सद्गुरु जग्गी वासुदेव 

अभियान के जनक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि देश में नदियां सूख रही हैं और हमारे पास नदियों को बचाने की कोई नीति नहीं है। पहली बार देशभर में राजनीतिक पार्टियां नदियों के अभियान को लेकर एक आवाज बन रही हैं। देशभर की नदियों के वास्तविक स्वरूप की जानकारी देते हुए सदगुरु ने कहा कि अभियान की सफलता को दस करोड़ मिस्ड कॉल चाहिए। आबादी और विकास के दबाव के कारण हमारी बारहमासी नदियां मौसमी बन रही हैं। कई छोटी नदियां पहले ही गायब हो चुकी हैं। बाढ़ और सूखे की स्थिति बार-बार पैदा हो रही है, क्योंकि नदियां मानसून के दौरान बेकाबू हो जाती हैं और बारिश का मौसम खत्म होने के बाद गायब हो जाती हैं।

लक्ष्य तक पहुंचना बाकी : त्रिवेंद्र सिंह रावत

समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अभियान की शुरुआत हो गई है, केवल लक्ष्य तक पहुंचना बाकी है। उन्होंने कहा कि हम गंगा की पवित्रता की बात करते हैं जबकि गढ़वाल के सात जिलों में सबसे अधिक गंदगी देहरादून में होती है। सहायक नदियों की निर्मलता बगैर गंगा की स्वच्छता की कल्पना नहीं की जा सकती। 

एक करोड़ पौधे लगाने का संकल्प : रामदेव

विशिष्ट अथिति बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि योगपीठ की ओर से एक करोड़ पौधे लगाने के संकल्प लिया गया है। उनके फेसबुक पर दो करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। उन सबसे कहेंगे कि वे नदी अभियान के नंबर पर मिस्ड कॉल करें। उन्होंने कहा कि विवाह की वर्षगांठ पर भी एक पौधा लगाया जाना चाहिए, लेकिन बाबाओं की तो शादी ही नहीं होती तो वर्षगांठ कैसी। उन्होंने कहा कि यहां तो बाबाओं ने कई-कई शादियां की हुई हैं। ऐसे बाबाओं को पेड़ों से प्रीत करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि फक्कड़ तो बच्चे पालेंगे नहीं। बच्चों में कोई भी गुण हो सकता है। पेड़ों को ही पाल लो। जिस पौधे को लगाएंगे, वह राम रहीम नहीं निकलेगा। दूसरों को फल और छाया ही देगा।

नदी अभियान के पन्नों से कुछ चौंकाने वाले तथ्य

भारत का 25 फीसदी भाग रेगस्तिान बन रहा है। हो सकता है अगले 15 सालों में अपने गुजारे के लिए जितने पानी की हमें जरूरत है, उसका सिर्फ 50 फीसदी जल ही हमें मिलेगा। गंगा दुनिया की उन पांच नदियों में से है जिनका अस्तित्व भारी खतरे में है। गोदावरी पिछले साल कई जगहों पर सूख गई थी। कावेरी अपना 40 फीसदी जल प्रवाह खो चुकी है। कृष्णा और नर्मदा में पानी लगभग 60 फीसदी कम हो चुका है। 

ऐसे पड़ रहा असर

सद्गुरु का कहना है कि जल की हमारी 65 फीसदी जरूरत नदियों से पूरी होती हैं। 3 में से 2 बड़े शहर पहले से ही रोज पानी की कमी से जूझ रहे हैं। बहुत से शहरी लोगों को एक कैन पानी के लिए सामान्य से दस गुना अधिक खर्च करना पड़ता है। हम सिर्फ पीने या घरेलू इस्तेमाल के लिए जल का उपयोग नहीं करते। हर व्यक्ति की औसत जल आवश्यकता 11 लाख लीटर सालाना है। बाढ़, सूखा और नदियों के मौसमी होने से देश में फसल बर्बाद होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। अगले 25-30 सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और सूखे की स्थिति और बदतर होगी। मानसून के समय नदियों में बाढ़ आएगी। बाकी साल सूखा रहेगा। ये रुझान शुरू हो चुके हैं।

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