BJP सांसद ने लिखा- सच दिखाने वाले पत्रकारों को परेशान कर रही दिल्ली सरकार,

नई दिल्ली भोजपुरी गायक और अभिनेता से BJP सांसद बने मनोज तिवारी ने संपादकों की संस्था (एडिटर गिल्डस ऑफ इंडिया) को खत लिखकर दिल्ली सरकार की शिकायत की है। उन्होंने दिल्ली सरकार पर पत्रकारों की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। खत में उन्होंने लिखा है कि पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों के सामने सूचनाएं और सच ला रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया के पर पत्र शेयर किया है।

उन्होंने आगे लिखा है कि देश के बड़े मीडिया समूह ने केजरीवाल की लापरवाही पर रिपोर्ट छापी। इसके बाद संस्थान के 6 रिपोर्टर्स को केजरीवाल सरकार ने कॉमन वाट्सऐप ग्रुप से बाहर कर दिया गया। इस ग्रुप के जरिए दिल्ली सरकार का रोज का अपडेट पत्रकारों से शेयर करती है। यहां कुछ सवाल पूछने पर कॉमन प्लेटफार्म से रिपोटर्स को बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि चुभने वाले सवाल उठाने के लिए पत्रकारों को पहली बार इस ग्रुप से बाहर नहीं किया गया, इससे पहले भी कई पत्रकारों को बाहर किया जा चुका है। दिल्ली सरकार इस तरह से सभी पत्रकारों पर दबाव बनाने का काम कर रही है। आश्चर्य की बात है कि एडिटिर गिल्डस ऑफ इंडिया ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। उन्होंने लिखा है कि मुझे उम्मीद है कि एडिटर गिल्डस ऑफ इंडिया दिल्ली सरकार के इस रवैए पर स्वतः संज्ञान लेकर ऐसे कदम उठाएगी, जिससे पत्रकार बिना दबाव और डर अपना काम कर सकें।

मनोज तिवारी का सवाल, दूसरे राज्यों से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों लग रही

मनोज तिवारी ने इस पत्र में एक आरटीआई का हवाला देते हुए आगे लिखा है कि जून, 2020 से लेकर 26 अप्रैल, 2021 तक दिल्ली सरकार ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा है। ऐसे में जबकि पूरा देश कोरोना से जूझ रहा, केजरीवाल सरकार ब्लेम गेम में व्यस्त है। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर भी लगातार घबराहट का माहौल बनाए हुए है। रोजाना ऑक्सीजन की मांग के आंकडे़ भी दिल्ली सरकार बदल रही है। इस बाबत कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल भी किया है कि मरीजों की समान संख्या वाले दूसरे राज्यों को 300 मीट्रिक टन से कम ऑक्सीजन की जरूरत है तो फिर दिल्ली को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत क्यों पड़ रही है?

इनफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल नहीं कर रही दिल्ली सरकार

मनोज तिवारी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर मौजूद हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर को इस्तेमाल न करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने 18 अप्रैल, 2021 के जिला मजिस्ट्रेट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है, 'नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की 4 अलग-अलग जगहों पर हमने स्थानीय प्रशासन और गैर सरकारी संगठनों की मदद से 808 बेड की व्यवस्था की है। लेकिन दिल्ली सरकार ने उसका इस्तेमाल नहीं किया। अगर ये बेड इस्तेमाल किए जाते दिल्लीवासियों को इसका लाभ मिलता।'

शीला दीक्षित के बेटे भी लिख चुके हैं पत्र

इससे पहले दिवंगत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने भी केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में घबराहट का माहौल बनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने भी एक आरटीआई का हवाला देते हुए कहा था कि 2015 के बाद दिल्ली में एक भी अस्पताल नहीं बने और न ही मौजूदा अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई है। मेडिकल स्टाफ की संख्या ज्यों की त्यों है। इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो अब दिल्ली सरकार के डॉक्टरों को भी सच बोलने पर धमकाया जा रहा है। अभी फिलहाल इंडियन मेडिकल एसोसिएसन ने इस पर कुछ बोलने से मना कर दिया है। लेकिन वे यह भी कह रहे हैं कि कुछ शिकायतें तो हमारे पास आई हैं। लेकिन जब तक हम इन शिकायतों की जांच नहीं कर लेते तब तक अभी कुछ नहीं कह सकते।

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