Merry Christmas: शांति का राजकुमार प्रभु यीशू मसीह

दाऊद के लिए यहोवा अर्थात परमेश्वर का वायदा था कि दाऊद के घराने में से इसराईल के घराने की गद्दी पर बैठने वाले सदैव बने रहेंगे। (यरहमिया 33: 17-22) क्योंकि हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ। हमें एक पुत्र दिया गया है और प्रभुता उसके कंधे पर होगी। उसका नाम अद्भुत, मुक्ति करने वाला, पराक्रमी, परमेश्वर, अनंत काल का पिता और शांति का राजकुमार रखा जाएगा, उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी और उसकी शांति का अंत न होगा। (यशायाह 9: 6-7)। प्रभु अर्थात परमेश्वर आपको एक निशान देगा, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक बालक जनेगी।


पवित्र बाईबल में मसीह की समय के बारे में उक्त भविष्यवाणियां नबियों के द्वारा यीशू मसीह के जन्म से हजारों साल पहले की गईं। ये भविष्यवाणियां इसराईल स्थित यरुशलम के शहर बैथेलहम की पवित्र धरती पर मसीह के जन्म से पूरी हुईं।


प्रभु यीशू मसीह के जन्म के बारे में देखो कैसी विडम्बना है कि सृजनहार ने महलों को छोड़ मामूली स्थान को चुना। प्रभु यीशू मसीह के जन्म बारे पवित्र बाईबल में बताया गया है कि यीशू की माता मरियम की एक बढ़ई के साथ मंगनी हो चुकी थी और उनके एक होने से पहले ही वह गर्भवती पाई गईं। उसका पति बहुत ही धर्मी मनुष्य था। 
परमेश्वर के एक दूत ने सपने में उसे दर्शन देकर कहा तू अपनी मंगेतर मरियम को घर लाने से न डर क्योंकि जो उसके गर्भ में है वह पवित्र आत्मा से है। वह पुत्र जनेगी। तू उसका नाम यीशू रखना, वह अपने लोगों को पापों से छुटकारा दिलाएगा।


यहूना 3-16 में भी प्रभु यीशू मसीह के परमेश्वर के पुत्र होने के संबंध में कहा है कि ‘‘परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई इस पर विश्वास करे हलाक न हो परन्तु हमेशा का जीवन पाए।’’


इस कथन के संबंध (मति 3:16-17) में भी प्रभु यीशू मसीह का परमेश्वर का पुत्र होने का सबूत मिलता है कि  ‘‘जब यीशू बपतिस्मा ले चुका तब पानी से ऊपर आया और देखो आकाश उसके लिए खुल गया तो उसने परमेश्वर की आत्मा अपने ऊपर आते हुए देखी और देखो एक स्वर्गीय वाणी आई कि यह मेरा प्यारा पुत्र है जिससे मैं प्रसन्न हूं।’’

प्रभु यीशू मसीह ने अपने साढ़े 33 वर्ष के जीवन काल में साढ़े तीन वर्ष मनुष्य जाति की रुहानी सेवा दौरान रुहानी शक्ति द्वारा कई अद्भुत कार्य किए। बीमारों को स्वस्थ किया। दो मछलियों और पांच रोटियों के साथ पांच हजार लोगों की भीड़ को तृप्त किया। यहां तक कि मुर्दों को भी जीवित किया।


अगर यीशू मसीह की शिक्षाओं की ओर दृष्टि डालें तो वे इतनी सरल थीं कि आम आदमी उनको समझ कर ग्रहण कर सकता है। यीशू मसीह हर बात को दृष्टांतों के द्वारा स्पष्ट करते थे। 


उन्होंने बदले की भावना को नकारते हुए अपने पड़ोसी और दुश्मनों के साथ भी प्यार करने की प्रेरणा दी। उनके उपदेश किसी एक धर्म अथवा जाति के लिए नहीं बल्कि सारे संसार में रहने वाले हर मनुष्य के लिए है।

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