Places of Worship Act का मतलब ये नहीं कि धार्मिक पहचान का पता ना लगाया जाए

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 (Places Of Worship Act 1991) के तहत किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाना प्रतिबंधित नहीं है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की एक घंटे की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इसने 2019 के अयोध्या फैसले (2019 Ayodhya Verdict) में पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों पर गौर किया है तथा धारा 3 पूजा स्थल धार्मिक चरित्र सुनिश्चित करने पर स्पष्ट तौर पर रोक नहीं लगाती है।
पीठ ने कहा, ‘हमने अयोध्या फैसले में इन प्रावधानों पर चर्चा की है। धर्म स्थल का धार्मिक चरित्र तय करना स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं है।’ न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह उसका मंतव्य नहीं है, लेकिन यह दोनों पक्षों के बीच संवाद में बात कही गई है। पीठ की ओर से टिप्पणी करने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उस पांच सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे, जिसेन 2019 में अयोध्या विवाद में अपना फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मान लीजिए कि एक ही परिसर में अगियारी (पारसी अग्नि मंदिर) और क्रॉस हो, तो क्या अगियारी की मौजूदगी क्रॉस को अगियारी बनने देती है? क्या क्रॉस की मौजूदगी उस परिसर को ईसाइयों का पूजास्थल बनने दे सकती है?’शीर्ष अदालत वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इसने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के निर्णय को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हफेजा अहमदी ने दलील दी कि एक विमर्श तैयार किया जा रहा है और आयोग की रिपोर्ट चुनींदा तरीके से लीक जा रही है तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसे केवल एक मुकदमे के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसका परिणाम समूचे देश में देखा सकता है। हालांकि न्यायालय ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह ऐसा नहीं होने देगा।अहमदी ने कहा कि अदालत ने भले ही मुसलमानों को मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी है लेकिन इसका कुछ हिस्सा सील कर दिया गया है और नमाजियों को वजू के लिए पानी लेने नहीं दिया जा रहा है। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपरोक्त तथ्य सही नहीं हो सकता, क्योंकि वजू के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है तथा किसी भी कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा मुहैया कराई गई है। हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधविक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि उस क्षेत्र को सील कर दिया गया है ताकि (शिवलिंग को) अपवित्र न किया जा सके।

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