Rajasthan Assembly by-election: बीजेपी-कांग्रेस के लिए जिताऊ प्रत्याशियों की खोज बनी बड़ी चुनौती

जयपुर. प्रदेश में 4 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव (Rajasthan Assembly by-election) की घोषणा इसी सप्ताह होना संभावित है. नियमानुसार रिक्त सीट पर 6 महीने के अंदर चुनाव करवाना होता है. इस लिहाज से देखा जाए तो सहाड़ा विधानसभा सीट पर चुनाव 6 अप्रैल से पहले होने चाहिए. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि अब उपचुनाव की तिथि घोषित होने पर इस सीट पर 6 महीने की अवधि का प्रावधान पूरा नहीं हो पाएगा.उधर इन 4 सीटों पर उपचुनाव को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही मशक्कत में जुटे हुए हैं. दोनों ही दलों में जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश जोर शोर से हो रही है. दोनों ही दलों के लिए यह उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि दोनों ही दल प्रत्याशी चयन में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. कांग्रेस के लिहाज से देखा जाए तो इन चुनावों में जीत हासिल करने से सरकार के कामकाज पर मुहर लगेगी. वहीं बीजेपी के लिहाज से देखा जाए तो इससे फ्यूचर लीडरशिप की दशा-दिशा तय होगी.

दोनों पार्टियों के लिये उपचुनाव प्रतिष्ठा के सवाल हैं
सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव ज्यादा प्रतिष्ठा का सवाल इसलिए है क्योंकि प्रदेश में अभी पार्टी की सरकार है. इसके साथ ही इन 4 सीटों में से 3 सीटें कांग्रेस के पास थी. उधर बीजेपी उपचुनाव में जीत हासिल कर सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने की कवायद में नजर आएगी. हालांकि दोनों ही दलों के लिए गुटबाजी और धड़ेबंदी बड़ी चुनौती है. कांग्रेस में जहां गहलोत-पायलट के बीच पाले खिंचे हुए हैं. वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया खेमे के बीच नेतृत्व की लड़ाई चल रही है.

दलों ने झौंकी ताकत
इन 4 सीटों पर उपचुनाव को जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक रखी है. कांग्रेस ने काफी पहले ही इन सीटों पर 4-4 लोगों की टीम पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त कर रखी है जो लगातार क्षेत्र की नब्ज टटोलने में लगी हुई है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी लगातार सीएमआर में इन क्षेत्रों के नेताओं से चर्चा कर हालातों को समझने में लगे हैं. पार्टी के फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशंस ने भी इन क्षेत्रों में अपनी टीमें तैनात कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया है.

बजट में भी इन क्षेत्रों का विशेष ध्यान रखा गया है
बजट से पहले ही सरकार ने इन क्षेत्रों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी. वहीं बजट में भी इन क्षेत्रों का विशेष ध्यान रखा गया है. उधर बीजेपी भी अब उपचुनाव को लेकर खासी सक्रिय है. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ ही पार्टी नेता इन क्षेत्रों में दौरे कर पार्टी पक्ष में माहौल तैयार करने में जुटे हैं. उधर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटी हुई है. आरएलपी ने चारों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर मजबूती से ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

जिताऊ प्रत्याशी का चयन बड़ी चुनौती
चारों ही सीटों पर बड़ी संख्या में टिकटों के दावेदार सामने आ रहे हैं. इन दावेदारों में से जिताऊ प्रत्याशी का चयन करना पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती है. दिवंगत विधायकों के परिवारजन और रिश्तेदार जहां टिकट मांग रहे हैं. वहीं पार्टियों के लिए बरसों से काम कर रहे कार्यकर्ता भी टिकट के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं. अब पार्टियों के सामने चुनौती यह है कि किसी एक को टिकट देने से दूसरों की नाराजगी को कैसे कम किया जाए. प्रत्याशी चयन में पार्टियों को बगावत का खतरा भी सता रहा है. हालांकि सहानुभूति वोट हासिल करने के लिहाज से अभी तक दिवंगत विधायकों के परिजन ही टिकट की दौड़ में आगे चल रहे हैं. लेकिन समीकरण कभी भी बदल भी सकते हैं.
 

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