खूंटी लोकसभा सीट पर देशभर की नजर, 13 मई को है मतदान….

खूंटी। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में खूंटी सीट खास है। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित खूंटी सीट पर एक बार फिर दो मुंडाओं के बीच दिलचस्प मुकाबला तय है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के यहां से चुनाव लड़ने की वजह से देशभर की नजर इस सीट पर है। 2019 के पहले तक यहां से भाजपा के वयोवृद्ध नेता और लोकसभा के पूर्व उपसभापति कड़िया मुंडा चुनाव जीतते रहे थे। वहीं, 2019 में अर्जुन मुंडा यहां से जीते, उन्होंने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को हराया था, लेकिन जीत का अंतर काफी कम था।

एक बार फिर आमने-सामने दो मुंडा

इस बार फिर अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। ऐसे में यहां का चुनाव काफी दिलचस्प होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कालीचरण मुंडा को कड़े मुकाबले में 1445 वोटों के अंतर से मात दी थी। पिछले चुनाव में भाजपा के अर्जुन मुंडा को 3,82,638 मत मिले थे। वहीं, कालीचरण मुंडा ने 3,81,193 मत हासिल किए थे।

खूंटी में 13 मई को होगा मतदान

बता दें कि खूंटी क्षेत्र में 13 मई को मतदान है। गुरुवार 18 अप्रैल को अधिसूचना जारी होने के साथ ही यहां नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में अर्जुन मुंडा सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा हैं।

इस साल फरवरी महीने के आरंभ में पंजाब और हरियाणा की शंभू बार्डर पर किसान आंदोलन शुरू हुआ तो कृषि मंत्री के नाते किसान संगठनों से वार्ता के मोर्चे पर अर्जुन मुंडा आगे रहे। इससे उनकी छवि को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा आयाम मिला। अब अर्जुन मुंडा के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है।

कड़िया मुंडा आठ बार जीते, तीन बार कांग्रेस को मिली जीत

खूंटी संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में भाजपा के कड़िया मुंडा यहां से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि कांग्रेस को तीन बार सफलता मिली है।

शुरुआती दौर में यहां से जयपाल सिंह मुंडा ने भी लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। वह 1952, 1957 और फिर 1962 में जीते थे, लेकिन कड़िया मुंडा ने इस लोकसभा सीट को भाजपा के अभेद्य किले के रूप में बदल दिया।

खूंटी में कांग्रेस-भाजपा की हार-जीत का समीकरण

खूंटी लोकसभा सीट के इतिहास को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि यह बीजेपी का एक अभेद्य किला है। हालांकि 2019 में अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच जिस तरह की टक्कर थी वह निश्चित तौर पर भाजपा के लिए सबक है। खूंटी में कांग्रेस को पहली सफलता 1967 में मिली थी, जब झारखंड पार्टी के शीर्ष नेता मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी के प्रत्याशी बने थे।

कांग्रेस प्रत्याशी जयपाल सिंह मुंडा को मिली जीत में उनकी व्यक्तिगत छवि प्रभावी रही थी। हालांकि पूर्व चुनाव की अपेक्षा उनकी जीत का अंतर काफी कम हो गया था। इसके बाद 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में सवार होकर कांग्रेस प्रत्याशी साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे।

कांग्रेस को तीसरी सफलता 2004 के लोकसभा चुनाव में मिली, जब कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने यहां भाजपा के कड़िया मुंडा को हराया। कड़िया मुंडा ने पहली बार 1977 में बीएलडी के टिकट पर जीत हासिल की थी।

भाजपा प्रत्याशी के तौर पर कड़िया मुंडा ने 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार जीत हासिल की। 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने कड़िया मुंडा के विजय रथ को रोक दिया था।

हालांकि, कड़िया मुंडा ने इसके बाद फिर 2009 और 2014 में खूंटी संसदीय क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराया। 2019 में भाजपा ने कड़िया मुंडा के स्थान पर अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा और उन्होंने भी कड़िया मुंडा के राजनीतिक किले को बरकरार रखा।

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