भारत-पाक के बीच सिंधु जल समझौते पर UN का बड़ा बयान

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता (आईडब्ल्यूटी) तीन युद्धों के बाद भी कायम है। उन्होंने रेखांकित किया कि यह साबित हो चुका है कि जल सहयोग का उत्प्रेरक है, उन देशों के लिए भी जिनके आपस में रिश्ते अच्छे नहीं है। 

गुतारेस ने जल संसाधनों पर सीमा-पार विवादों को रोकने और उनका हल करने के लिए कूटनीति की अहमियत पर जोर दिया। निवारक कूटनीति और सीमा-पार जल पर कल आयोजित एक बैठक के दौरान गुुतारेस ने कहा कि पानी, अमन और सुरक्षा आपस में अनिवार्य रूप से जुड़े हुए हैं। 

पानी निश्चित तौर पर राष्ट्रों के बीच सहयोग का उत्प्रेरक
इस बैठक की अध्यक्षता बोलीविया के राष्ट्रपति इवो मोराल्स ने की जो इस महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पानी निश्चित तौर पर राष्ट्रों के बीच सहयोग का उत्प्रेरक है, उन देशों के लिए भी जिनके रिश्ते आपस में अच्छे नहीं हैं। गुतारेस ने कहा कि २०वीं सदी के उत्तराद्र्ध में ही तकरीबन २८७ अतंर्राष्ट्रीय जल संधियों पर हस्ताक्षर हुए। उन्होंने टिटिकाका झील का उदाहरण दिया जो बोलीविया और पेरू के बीच लंबे समय से सहयोग का स्रोत बनी हुई है। यह झील महाद्वीप में ताजे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है। 

तीन जंगों के बावजूद कायम सिंधु जल संधि
विश्व निकाय के महासचिव ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि वर्ष १९६० में हुई और यह दोनों देशों के बीच तीन जंगों के बावजूद कायम रही। उन्होंने कहा कि पानी विवाद का नहीं बल्कि सहयोग का कारण है और बना रहेगा। जलवायु परिवर्तन की वजह से पानी की किल्लत बढ़ रही है जो चिंता का विषय है। उन्होंने रेखांकित किया कि वर्ष २०५० तक हर चार में से एक व्यक्ति एेसे देश में होगा जहां स्वच्छ पानी की गंभीर कमी होगी। गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों में से तीन चौथाई अपने पड़ोसियों के साथ नदी या जलाशय का पानी साझा करते हैं। उन्होंने कहा,च्च्इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्र पानी के बराबर बंटवारे और दीर्घकालिक इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करें।

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