इस सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण, हुईं विनाश की भविष्यवाणियां

21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण जुलाई में होने वाला है. यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसकी महत्ता को ऐसे भी समझा जा सकता है कि इसके आगे-पीछे 13 जुलाई और 11 अगस्त 2018 को दो खंडग्रास सूर्यग्रहण पड़ेंगे.

लगातार तीन ग्रहणों में खग्रास चंद्रग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव गहरा होना संभावित है. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा चंद्र ग्रहण पर दे रहे हैं विस्तृत जानकारी…

इसके अतिरिक्त पृथ्वी की कक्षा में मौजूद विभिन्न देशों के हजारों सैटेलाइट्स इससे प्रभावित होकर बिगड़ सकते हैं. नियंत्रण खो सकते हैं. ऐसे में विश्वभर में सैटेलाइट्स सेवाएं कठिनाई में आ सकती हैं. चाहे वे संचार संबंधी हों या अन्य सुरक्षा और सुविधा संबंधी. विमान सेवा भी प्रभावित हो सकती है.

पूर्व माहों में ऐसी घटनाएं हो भी चुकी हैं. नेपाल में हुए विमान हादसे के अलावा इस वर्ष लगभग आधा दर्जन विमान हादसे हो चुके हैं. एक वर्ष के अंदर इसरो के दो सैटेलाइट लांच फेल हो चुके हैं. चीन का स्पेस स्टेशन गिरा है. रूस का उपग्रह खोया है.

वर्ष 2017 और 2018 में इस तरह की घटनाएं होने की भविष्यवाणी ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने  कर दी थी. वर्ष 2017 में ग्लेशियर टूटने से लेकर भूकंप की कई घटनाएं हुईं. वैज्ञानिकों ने भी माना है कि पृथ्वी की गति में कई आई है जो भूकंपीय घटनाओं को बढ़ा सकती है.

6 घंटा 14 मिनट तक रहेगा आगामी चंद्रग्रहण- 27 जुलाई 2018 का चंद्रग्रहण भी 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण रहने वाला है. इसकी कुल अवधि 6 घंटा 14 मिनट रहेगी. इसमें पूर्णचंद्र ग्रहण की स्थिति 103 मिनट तक रहेगी.

भारत में यह लगभग रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से स्पर्श कर लगभग 3 बजकर 54 पर पूर्ण होगा.

इसमें पृथ्वी के मध्यक्षेत्र की छाया चंद्रमा पर पड़ेगी. इसके आगे-पीछे की अमावस्याओं पर खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी होंगे. इसका गहरा प्रभाव पृथ्वी पर होना सुनिश्चित है.

26 जुलाई 1953 को बना था सबसे लंबा चंद्रग्रहण, आया था ग्रीस में भीषण भूकंप-26 जुलाई 1953 को बीसवीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण पड़ा था. यह पूर्णावस्था में लगभग 101 मिनट रहा. इसका कुल ग्रहण समय 5 घंटा 27 मिनट था. इसी ग्रहण के बाद अगस्त के मध्य में ग्रीस के केफलोनिया और जाकिनथोस के लगभग 113 भूकंप आए.

इनमें सबसे विनाशकारी 12 अगस्त को लोनियन आइसलैंड में आया 7.2 मैग्निट्यूड स्केल का भूकंप आया था. इसमें लगभग 800 लोगों की मौत हुई थी. भूकंप में तबाह हुईं इमारतों के चिह्न वहां अभी मौजूद हैं.

कर्क रेखा क्षेत्र पर आते हैं ये देश-भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, ताइवान, संयुक्त राज्य अमेरिका का हवाई द्वीप, मैक्सिको, बहामास, मुरितानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्त्र, सउदी अरब, यूएई और ओमान देश प्रमुखता से आते हैं.

ग्रहण महज अदृश्यता संबंधी घटना नहीं, इस दौरान ग्रह-उपग्रह लेते हैं ऑटोकरेक्शन-ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि ग्रहण महज सूर्य प्रकाश से निर्मित छाया में सूर्य और चंद्रमा के नजर न आने की घटना मात्र नहीं है.

सूर्य के साथ संपूर्ण सौरमंडल 70 हजार किलोमीटर की गति से आगे बढ़ रहा है. ग्रहों-उपग्रहों को इससे तालमेल बनाए रखना होता है.

ज्योतिष में पृथ्वी के लिए राहु-केतु वे छायाग्रह हैं जिनके जुड़ाव में सूर्य और चंद्रग्रहण बनते हैं. ये सौरमंडल के वे नोडल पाइंट हैं जहां पृथ्वी और चंद्रमा सूर्य की एक सीध में आकर ऑटो-करेक्शन लेते हैं. इसमें चंद्र व पृथ्वी की कक्षाएं सुव्यवस्थित होती हैं. इससे अंतरिक्षीय गुरुत्वीय तरंग प्रभावित होने और ग्रहादि के स्पेस शिफ्ट की आशंका बढ़ जाती है. इनमें अन्य सौरमंडलीय ग्रहों का भी ज्योतिषीय योगायोग प्रभाव भी असर डालता है.

इससे भूकंप, चक्रवात, ज्वालामुखी व सुनामी की आशंका के अलावा उपग्रहों और विमानों के गड़बड़ाने की आशंका भी बढ़ जाती है. ज्योतिषानुसार यह प्रभाव हर जीव और जड़ पर पड़ता है.

इसी कारण इस दौरान गहन शारीरिक-मानसिक कार्यों से बचने सलाह दी जाती है. अग्निकर्म व मशीनरी के प्रयोग को त्याज्य माना जाता है. सनातनी परम्परा में देवदर्शन और यज्ञादि कर्म निषेध रखे जाते हैं. सहज मुद्रा में भजन-कीर्तन और जप के माध्यम से ईश्वर को याद किया जाता है.

13 जुलाई को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. हालांकि यह भारत में मान्य नहीं है लेकिन पृथ्वी पर विभिन्न हलचलों को बढ़ाएगा. जलीय क्षेत्रों में बसे लोग सावधानी बरतें. हो सके तो अगले खंडग्रास सूर्यग्रहण तक समुद्री सीमा से दूरी बढ़ाएं.

19 जुलाई को सौरमंडल की महत्वपूर्ण घटना है. सूर्य के एक ओर बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु और शनि आदि सारे ग्रह एक ओर उपस्थिति मौजूद होंगे. यह स्थिति सौरमंडल में असंतुलन बढ़ाएगा. चूंकि सौरमंडल का जीवनयुक्त एक मात्र ग्रह पृथ्वी है, इसके अधिक प्रभावित होने की आशंका है.

26 जुलाई को ज्योतिष में चंद्रमा का पुत्र माना जाने वाला बुध ग्रह वक्री होगा. यह परिवर्तन सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण के को और प्रभावी बनाएगा.

27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण होगा. यह विभिन्न विनाशकारी भौगोलिक घटनाओं का कारक हो सकता है.


Leave a Reply