एक यूनिट रक्त तीन लोगों को दे सकता है नवजीवन

अजमेर । पशिचमी देशों के मुकाबले आज भी भारत में रक्तदान के प्रति लोगों के मन में गलत धारणाएं बनी हुई है। इसी कारण आज भी देश में रक्तदान का ग्राफ नहीं बढ़ सका है।  लोगों को रक्तदान के प्रति जागरुक करने के लिए सामाजिक संगठन व सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वह इतने कारगर साबित नहीं है। आमजन आज भी रक्तदान करने को लेकर भ्रांतियां मन में पाले हुए है, जबकि चिकित्सा विभाग कह चुका है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए छह माह में एक बार तो कम से कम रक्तदान करना चाहिए। संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में प्रतिदिन 60 से 70 यूनिट रक्तदान मरीजों के लिए जाता है। कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि मरीजों के लिए रक्तदान के लिए सामाजिक संगठनों से आग्रह करना पड़ता है। आए दिन ऐसी परिस्थितियां बनने के कारण ही भास्कर ने विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर आमजन के मन में चल रही विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया है। 
अजमेर रीजन थैलेसिमिया सोसायटी 1996 से हर साल कम से कम दो मर्तबा रक्तदान शिविर का आयोजन करती है। अब तक 45 बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा चुका है जिसमें साढ़े तेरह हजार यूनिट रक्तदान विभिन्न अस्पतालों को डोनेट किया जा चुका है। सबसे अधिक थैलेसिमिया पीडि़त बच्चों के लिए संस्थान आगे बढ़कर काम कर रही है।

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