सत्तर प्रतिशत बच्चों के पास मोबाइल नहीं – लाखों मासूम पढाई से दूर

 

कोरोनाकाल में बच्चों की आॅनलाइन पढाई बडी चुनौती है। प्रदेश में 70 प्रतिशत बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है। केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन व नवोदय विद्यालय समिति से वर्ष 2020 और 2021 में इस तरह का सर्वें कराया था। इसमें मध्यप्रदेश की स्थिति कमजोर रही। राजस्थान और छत्तीसगढ की स्थिति भी  मध्यप्रदेश से बेहतर है। सर्वे के अनुसार राजस्थान में सभी बच्चों के पास, तो छत्तीसगढ में 72 प्रतिशत के पास डिजिटल उपकरण हैं। म.प्र. के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और उनके परिजनों का कहना है कि अभी घर चलाना ही मुश्किल है, ऐसे में मोबाइल फोन हम कहां से लाएं ? सतना जिले में कोरोना ने बिरला रोड निवासी मोहन से काम, तो उसके बेटे से शिक्षा छीन ली। बेटा लव छठवीं का छात्र है। मोबाइल के अभाव में डेढ साल से वह आॅनलाइन पढाई नहीं कर पाया। पिता ने कहा स्कूल बंद है। सरकार ने किताब कापी दी नहीं। ऐसे में बच्चा पढाई कैसे करेगा ? मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय से जांच कराकर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन तलब किया है। साथ ही यह भी पूछा है कि निर्धन व कमजोर वर्ग के परिवारों के बच्चों को आॅनलाइन शिक्षा देने की व्यवस्था किस प्रकार की जा रही है ? अथवा क्या व्यवस्था की जायेगी ? बच्चों को शिक्षा का मौलिक और मानव अधिकार प्राप्त है, जिसे प्राप्त करने में म.प्र.शासन की ओर से क्या व्यवस्था की जा रही है या किया जाना प्रस्तावित है ? इन सभी बिन्दुओं पर स्पष्ट प्रतिवेदन दिया जाये।                                                            

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