16 दिसंबर से लगने वाला है खरमास, जानिए पौराणिक कथा और इसके दुष्प्रभाव मिटाने के उपाय

सूर्य के धनु राशि में गोचर की अवधि को खरमास कहा जाता है। खर मास की शुरुआत दिसंबर के मध्य से शुरू होकर जनवरी के मध्य तक रहती है। संक्रांति के इस काल में अग्नि तत्व अपने चरम पर होता है।

यह समय उन गतिविधियों के लिए उपयोगी है जिनमें वाद-विवाद शामिल हैं। इस चरण में मनुष्य की जलवायु, प्रकृति और व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है। किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों, विशेषकर विवाह के लिए खरमास को शुभ नहीं माना जाता है। इसी वजह से माना जाता है कि इस अवधि में विवाह से बचना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है खरमास। सूर्य हर महीने राशि में गोचर करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर की अवधि को सूर्य संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करता है, तो गोचर की अवधि को धनु संक्रांति कहा जाता है। धनु संक्रांति को खरमास संक्रांति भी कहा जाता है। सूर्य और धनु दोनों ही अग्नि तत्व हैं। सूर्य के धनु राशि में गोचर से दो उग्र तत्वों की युति होती है। इससे हर तरफ अग्नि तत्व की वृद्धि होती है। धनु राशि बृहस्पति ग्रह की मूल राशि है और जब सूर्य इस राशि से युति करता है तो इसका प्रभाव सभी पर देखने को मिलता है।

पौराणिक किंवदंतियां
खरमास के संदर्भ में एक पौराणिक मत भी है। एक कथा के अनुसार, जब सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे, तब रथ के घोड़े प्यास से व्याकुल हो उठे। घोड़ों की स्थिति देखकर सूर्य देव दुखी हुए। हालाँकि, वह असहाय था क्योंकि रथ को रोका नहीं जा सकता था।
रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई देता है जिसके पास दो खर यानी गधे खड़े थे। सूर्य भगवान अपने घोड़ों को राहत देने का एक तरीका खोजते हैं। वह अपने घोड़ों को खोल कर दो गधों को अपने रथ में बाँध लेते हैं। इसके बाद गधे ब्रह्मांड का अगला चक्कर पूरा करते हैं। जब सूर्य देव फिर से उसी स्थान पर पहुंच जाते हैं तो सूर्य भगवान अपने घोड़ों को वापस बांध देते हैं और गधों को मुक्त कर देते हैं। घोड़े अपनी प्यास बुझाने में सक्षम थे। इसी वजह से इस महीने का नाम खर मास रखा गया।
इस प्रकार पूरे पौष मास में खर अपनी धीमी गति से भ्रमण करते हैं और इस माह में सूर्य की तीव्रता बहुत कमजोर हो जाती है, पौष के पूरे महीने में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रभाव कमजोर हो जाता है।

खरमास में ये उपाय भी कारगर

    यदि आपको अकाल मृत्यु का भय है तो अभिजीत मुहूर्त में सूर्य उपासना करें।
    शाम के वक्त अस्ताचल सूर्य की आराधना से घर अन्न-धन से भरा रहेगा।
    भौतिक सुख साधनों की इच्छा के लिए ब्रह्मवेला में सूर्यदेव की आराधना जरूर करें।
    भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी और सूर्यदेव की उपासना करने से जीवन में सुख- समृद्धि आती है।
    खरमास के दौरान माता लक्ष्मी की विधि विधाने से पूजा करें, ऐसा करने से घर में पैसों की दिक्कत नहीं होती है।
    खरमास में तुलसी की पूजा करना से लाभ मिलता है। शाम के समय में तुलसी के पेड़ के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।
    अगर आपको किसी तरह का आर्थिक संकट है तो पीपल की पूजा करना शुभ होता है। सुबह-शाम पीपल के पेड़ में दीपक जलाने से भगवान प्रसन्न होते है।
    खरमास में पीपल की पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है साथ ही आर्थिक समस्याएं भी दूर होती है।

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