रांची समेत पूरे राज्‍य में लगातार बढ़ता जा रहा तापमान

राजधानी रांची समेत पूरे राज्य का मौसम लगातार बदल रहा है। कभी तेज धूप तो कभी वर्षा के बाद तापमान का गिरना हर लिहाज से घातक है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची से प्राप्त आंकड़ों की बात करें तो पिछले दस वर्षों के दौरान राजधानी व पूरे राज्य के तापमान में औसतन .33 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई है।

इस वजह से बदल रहा तापमान

1 जनवरी, 2023 को जारी इस आंकड़े में 1 या डेढ़ डिग्री तक की बढ़ोत्तरी हो जाए तो आपात स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इस वर्ष भी होली से पूर्व व बाद में तापमान में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद कहते हैं कि मौसम में यह बदलाव यूं ही नहीं हो रहा है।

पराबैंगनी किरणों यानी यूवी रे का असर भी लगातार बढ़ रहा है। बता दें कि रांची में इस किरण का असर बुधवार की सुबह 11 बजे उच्च स्तर पर रहा। वहीं 28 मार्च को सुबह 11 बजे, 29 मार्च को सुबह 10 बजे, 30 मार्च को सुबह 9 बजे और 31 मार्च को सुबह 11 बजे तक इसका उच्चतम स्तर देखने को मिलेगा।

हीट-आइलैंड में तब्‍दील होता जा रहा रांची

यूवी-रे के दिए गए समय से तीन घंटे तक बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है। मौसम विज्ञानी के अनुसार राजधानी व आसपास के जिलों में लगातार सिमट रही हरियाली के कारण जहां पराबैंगनी किरणों का असर बढ़ रहा है वहीं रांची हीट-आइलैंड में परिवर्तित हो रही है। जलस्त्रोत सूख रहे हैं और शहर के अधिकांश हिस्सों में जलस्तर भी लगातार नीचे जा रहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र रांची द्वारा जारी रिपोर्ट की बात करें तो वर्ष 1990 से 2020 तक माैसम में जबरदस्त बदलाव हुआ है। रांची के लिए औसत मासिक न्यूनतम तापमान 9.4 डिग्री सेल्सियस से 23.7 डिग्री सेल्सियस तक देखा गया वहीं औसत अधिकतम तापमान 24 डिग्री से 36.9 डिग्री सेल्सियस तक देखा गया है।

वहीं मार्च महीने की बात करें तो अब तक 31 मार्च 2017 और 23 मार्च 2004 को अधिकतम तापमान सर्वाधिक 39 डिग्री सेल्सियस जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 मार्च 2003 को 8.6 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया है।

ऐसा रहेगा राजधानी व पूरे राज्य का मौसम 

मौसम विज्ञान केंद्र रांची द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 28 व 29 मार्च को राजधानी समेत पूरे राज्य का मौसम शुष्क बना रहेगा। आसमान साफ रहेगा।

30 मार्च को पश्चिमी हिस्से यानी पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार और लोहरदगा, दक्षिणी हिस्से यानी पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और सरायकेला खरसावां, निकटवर्ती मध्य हिस्से यानी रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गुमला, बोकारो और खूंटी में कहीं कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है।

वहीं 31 मार्च को राज्य के दक्षिणी व निकटवर्ती मध्य हिस्से में हल्की वर्षा होने की संभावना है। इसे लेकर मौसम केंद्र ने यलो अलर्ट भी जारी किया है।

बताया गया कि इन दो दिनों तक कहीं कहीं मेघगर्जन के साथ वज्रपात होने और 30 से 40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवा बहेगी। इसके अलावे 1 व 2 अप्रैल को आसमान साफ रहेगा और मौसम शुष्क बना रहेगा।

सबसे कम लोहरदगा का तापमान

पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें तो राज्य में कहीं कहीं हल्की वर्षा हुई है। सबसे अधिक वर्षा 17.2 मिमी दुमका के शिकारीपारा में रिकार्ड की गई है। वहीं सबसे अधिक अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस डाल्टेनगंज का जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 16 डिग्री लोहरदगा का रिकार्ड किया गया है। राजधानी रांची का अधिकतम तापमान 32.2 डिग्री और न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

इन कारणों ने भी बढ़ाई परेशानी

– उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत में प्री-मानसून गतिविधियां भी पूरी तरह से खत्म हैं
– जिस कारण आसमान एकदम साफ है, धूप पूरी तरह से नीचे तक आ पा रही है
– मौसम विज्ञानी की माने तो नया पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय की तरफ आया है लेकिन इससे कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है
– विशेषज्ञ की माने तो अबकी बार इतनी गर्मी के कई कारण हैं, थार रेगिस्तान में मार्च के दूसरे सप्ताह एंटीसाइक्लोन बना था, जिस कारण गर्मी थोड़ी पहले शुरू हो गई
– अब बलूचिस्तान और पाकिस्तान से आने वाली सूखी गर्म हवाएं और एंटीसाइक्लोन के असर से गर्मी भारत के दक्षिण पूर्वी राज्य तेलंगाना तक पहुंच गई
– मार्च महीने में पश्चिमी हिमालय पर वर्षा और बर्फबारी कराने वाली पश्चिमी विक्षोभ की गैर मौजूदगी भी बढ़ती गर्मी की वजह बताई जा रही है।

प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा

हमें हर हाल में प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। इनका दोहन बंद करने के बाद ही हीट वेव के असर को कम किया जा सकता है। जलाशयों को फिर से जागृत करना होगा। कम हो रही हरियाली को बढ़ाना होगा। तब ही गर्मी के कहर से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बचा सकते हैं- नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद, रांची।

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